विवादों से बचने के लिए जयपुर सेंट्रल जेल में बंदियों को दी जा रही कैशलेश सुविधा

जयपुर, 2 मई (हि.स.)। भ्रष्टाचार के आरोपों के साथ विवादों से बचने के लिए जेल प्रशासन ने कैदियों को खरीदारी के लिए कैशलेश सुविधा उपलब्ध करवा रखी है। इसके लिए परिजन बंदी के खाते में ऑनलाइन रुपये डाल सकते है और कैदी बिना नकद भुगतान दिए खाने-पीने सहित अन्य जरुरत का सामान जेल की कैंटीन से ले सकते है। बस इसके लिए कैदी को एक पंच करना पडेगा। पंच के माध्यम से कैदी अपने खाते की जानकारी भी ले सकता है। इसे अलावा कैदी एसटीडीसी बूथ से परिजनों को कॉल भी कर सकता है।

जेल प्रशासन के अनुसार कैशलैस सुविधा के लिए जेल प्रशासन ने एक विशेष कोड जनरेट कर कैदी का खाता बना रखा है। इसमें कैदी के परिजन घर बैठे ऑनलाइन रुपये डाल सकते है और कैदी एक पंच कर कैंटीन से सामान और एसटीडीटी बूथ से कॉल कर सकता है। सामान और एसटीडीटी बूथ से पैसे कैदी के खाते से ऑनलाइन ही कट जाएंगे। रुपए कटने और खाते के बैलेंस की जानकारी कैदी पंच कर मशीन के माध्यम से ले सकता है। यह सुविधा जेल प्रशासन के रिकार्ड में पंजीकृत और सत्यापित पारिवारिक सदस्यों के लिए है जो अपने घर से ही इंटरनेट बैंकिंग, डेबिट या क्रेडिट कार्ड, पेटीएम और भीम ऐप के जरिए कैदी के बैंक खाते में पैसा जमा कर सकेंगे। राज्य की इस सेवा का फायदा विभिन्न जेलों में बंद लगभग 20,000 कैदियों को मिल सकेगा।

जेल प्रशासन ने एक डेटाबेस तैयार किया है और केवल पंजीकृत परिवार के सदस्य ही पैसा जमा कर सकते है। इस पैसे का इस्तेमाल कैदी लैंडलाइन फोन के माध्यम से कॉल करने और दैनिक उपयोग की आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी करने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे। कैदी इस पैसे से लैंडलाइन फोन पर रोजाना पांच मिनट अपने परिवार के सदस्यों से बात कर सकते हैं और हर महीने 3500 रुपये की कैंटीन से जरूरी सामान खरीद सकते हैं। इससे पहले जेल में बंद कैदी के परिवार के सदस्यों को जेल में ही कैदियों के बैंक खातों में पैसा जमा करना पड़ता था। मुलाकात के दौरान संबंधी कैदी को नकद पैसे दे जाते है। वह उस राशि को कैंटीन में जमा करा देता है। उसके बाद वह पंच लगाकर ही अपना सामान कैंटीन से खरीदता था। अब मुलाकात के दौरान कैश लेना भी बंद कर दिया गया है। कैशलैस सुविधा के लिए एक एप तैयार किया गया है। इस एप के जरिए कोई भी व्यक्ति अपने मिलने वाले कैदी के खाते में पैसा भेज सकता है। इस एप को सीडी सर्विस का नाम दिया गया है। इसके माध्यम से पैसा सीधे जेल के नाम से बने कैदी के बैंक खाते में चला जाएगा।

जेल प्रशासन के अनुसार इस सुविधा की शुरूआत कुछ सालों पहले की गई है। इसमें परिजन अपने बंदी के खाते से ऑनलाइन रुपये जमा करवा सकते है। जिनके परिजन अनपढ़ है या कम पढ़े लिखे है वे ई मित्र के माध्यम से अपने बंदी के खाते में रुपये जमा करवा सकता है। इसके लिए परिजनों को एक विशेष कोड नम्बर दिया गया है।

जयपुर सेंट्रल जेल अधीक्षक राकेश कुमार शर्मा का कहना है कि रुपयों के लेन-देन के आरोपों के साथ भ्रष्टाचार और विवादों से बचने के लिए जेल में कैशलैस सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। एक कम्पनी को हायर किया है जिसने बंदियों के लिए कैशलैस की सुविधा उपलब्ध करवाई है। कम्पनी ने एक एप बनाया है। इसमें हर बंदी का खाता बनाया गया है। जिसमें बंदी के परिजन घर बैठे रुपए जमा करवा सकते है। कैदी 3500 रुपये तक का सामान पंच कर कैंटीन से सामान और एसटीडी बूथ का उपयोग कर सकते है। इसमें 3350 रुपये कैंटीन और 150 रुपये एसटीडी बूथ पर खर्च कर सकते है। नकद रुपये लेने में कई तरह की परेशानी के साथ आरोप-प्रत्यारोप जेल प्रशासन पर लगते है। इसलिए यह व्यवस्था की गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

   

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