पर्यावरणीय खतरे पर जनसेवियों की विचार गोष्ठी

Public servants gather on environmental threatPublic servants gather on environmental threat

देहरादून, 19 मई (हि.स.)। पर्यावरण बचाने के लिए तमाम जनसेवी एवं वामपंथी संगठन रविवार को खलंगा में एकत्र हुए। यहां पर विचार गोष्ठी और जन गीत प्रस्तुत किए गए। संचालन नीतिन मलेठा ने किया जबकि रूपरेखा हिमांशु अरोड़ा ने प्रस्तुत की।

वक्ताओं ने कहा कि अभी तक खलंगा के जंगलों को बचाने के लिए सरकार द्वारा लिखित आश्वाशन नहीं दिया गया है। देहरादून में विभिन्न परियोजनाओं में खलंगा के अलावा भी विभिन्न जंगलों में हज़ारों पेड़ों का कटना प्रस्तावित है। खलंगा के जंगलों को बचाने का संघर्ष देहरादून में अन्य जगहों पर होने वाले जल-जंगल-ज़मीन के दोहन एवं कटान को रोकने के लिए प्रेरणा बनेगा। सभा में एस. एफ.आई के राज्य सचिव हिमांशु चौहान एवं वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने जनगीत साथी जल जंगल ज़मीन का बचना बहुत जरूरी है। इसलिए अंधे विकास से लड़ना बहुत जरूरी है सभी को साथ लेकर गाया गया।

खलंगा के स्थानीय निवासी इन्द्रेश नौटियाल ने देहरादून की 12 नदियों की कहानी सुनाई, जिसमें से 2 नदियाँ रिस्पन्ना और बिंदाल बिलकुल मृत हो चुकी हैं। प्राउड पहाड़ी सोसाइटी के गौरव द्वारा हर हाल में खलंगा वन को बचाने का प्रण लिया गया। एथलीट ज्योत्सना रावत द्वारा देहरादून की विशिष्ट पहचान उसकी हरियाली और शुद्ध वातावरण को पुनर्स्थापित करने की बात की गयी और अमेरिका जर्मनी आदि देशों का अंधानुसरण ना करने की बात की। डीएवी की पूर्व छात्रसंघ उपाध्यक्ष सोनाली ने कहा कि पहाड़ों में महिलाएं जंगल से जीवन का निर्वहन करती हैं। जंगलों को बचाना पूरे पहाड़ की जीवन-संस्कृति को बचाना अत्यंत जरूरी है।

कार्यक्रम का समापन विजय भट्ट और हरीश तिवारी ने किया। विजय भट्ट ने कहा कि देहरादून में कई जगहों के नाम पेड़ों और पानी पर पड़े हैं। पेड़ों और पानी को बचाना देहरादून की अस्मिता को बचाना है, हर दूनवासी का कर्तव्य है।

इस अवसर पर विजय भट्ट, शैलेंद्र परमार, प्राची, किरण, संजना, पीयूष मुनियाल,आयज खान, मुकुल, दिव्यांशु, मयंक, कनिका, योगेश ,प्रियंका, मनोज कुँवर, जागृति, इरा चौहान, जया आदि सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम में एस एफ आई, प्राउड पहाड़ी, दून पीपल प्रोग्रेसिव क्लब, एसडीसी फाउंडेशन, सिटीजन्स फॉर ग्रीन दून, श्रद्धांजलि आदि कई संगठनों एवं देहरादून के सैकड़ों आम नागरिकों ने प्रतिभाग किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ साकेती/रामानुज

   

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