शास्त्रोक्त विधान से चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ,69 दिन पूरे

—यज्ञ का उद्देश्य वैश्विक कल्याण, सद्भाव और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देना : प्रो .बिहारी लाल शर्मा

वाराणसी, 19 मई (हि.स.)। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और विश्वविद्यालय विकास समिति के सहयोग से परिसर में चल रहे चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ के 69 दिन पूरे हो गए। डॉ विजय कुमार शर्मा के संयोजन में वेद विभाग में शास्त्रोक्त विधान से महायज्ञ आध्यात्मिक उत्साह के साथ चल रहा है। पिछले 69 दिनों से यज्ञ में वैदिक मंत्रों का उच्चारण, पवित्र अनुष्ठानों का प्रदर्शन और दिव्य अग्नि में आहुति डाली गई है। प्रतिभागी आध्यात्मिक माहौल में डूबे हुए हैं और मानवता की भलाई के लिए ईश्वर का आशीर्वाद मांग रहे हैं।

रविवार को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि इस महायज्ञ में कोई भी वाह्य नागरिक परिवार समेत यजमान के रूप में सहभाग कर सकते हैो। उन्होंने बताया कि प्राचीन शास्त्र परंपराओं के अनुसार किए जाने वाले इस भव्य महायज्ञ का उद्देश्य वैश्विक कल्याण, सद्भाव और आध्यात्मिक उत्थान को बढ़ावा देना है। चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ एक अनूठा और ऐतिहासिक आयोजन है जो देश भर के विद्वानों, आध्यात्मिक नेताओं और भक्तों को इस पवित्र यात्रा में भाग लेने के लिए एक साथ लाता है।

महायज्ञ के संयोजक डॉ्र विजय कुमार शर्मा ने बताया कि इस भव्य आयोजन के 69वें दिन हमने यज्ञ के महत्व और हमारे जीवन पर इसके प्रभाव पर विचार किया। श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है- वेदानां सामवेदोस्मि अर्थात वेदों में मैं सामवेद हूँ। भारतीय संगीत का उद्भव सामवेद से ही हुआ है और ऐसी मान्यता है कि संगीत के माध्यम से प्रार्थना करने पर देवता शीघ्र प्रसन्न होते हैं, सामवेद स्वयं गीति स्वरूप होने के साथ वातावरण को मधुमय बनाने वाला है। इसके द्वारा स्वाहाकार होने से समाज, परिवार तथा राष्ट्र मे परस्पर मधुरता स्थापित होगी। उन्होंने बताया कि महायज्ञ के पवित्र अनुष्ठान के माध्यम से वेद के छात्रों ने आहुति दी, जिससे पूरा वातावरण शुद्धि के साथ सुगंधित यज्ञ धूम से भर गया।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/सियाराम

   

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