आएनाखाल चाय बागान में मनाई गई 'मुलुक चलो' आंदोलन की 103वीं वर्षगांठ

हैलाकांदी (असम), 21 मई (हि.स.)। बराक घाटी के आएनाखाल चाय बागान में ‘मुलुक चलो’ आंदोलन की मंगलवार को 103वीं वर्षगांठ मनाई गई। वरिष्ठ समाजसेवी घनश्याम पांडेय की अध्यक्षता में आएनाखाल नृत्य घर में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में दीप प्रज्ज्वलन और प्रतीक चिह्न पर पुष्प अर्पित कर मंचासीन अतिथियों और अन्य लोगों ने वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। शहीदों की आत्मा की शांति के लिए एक मिनट मौन भी रखा गया। इस मौके पर वरिष्ठ समाजसेवी रूपनारायण राय ने आंदोलन के बारे में लोगों को जानकारी दी। कार्यक्रम आयोजक मंडल के सदस्य राजेंद्र पांडेय एवं राजकुमार भर ने शहीदों को अपने वक्तव्य से श्रद्धांजलि दी।

वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी दिलीप कुमार ने कहा कि अंग्रेजों ने बांग्लादेश के चांदपुर में चरगोला वैली के निहत्थे श्रमिकों, बच्चों, औरतों को घेरकर अंधाधुंध गोलीबारी की, पद्मा नदी का पानी निर्दोष लोगों के खून से लाल हो गया। जलियांवाला बाग कांड से भी भयंकर कांड हुआ। 21 मई, 1921 को घटित मुलुक चलो आंदोलन को इतिहासकारों ने जलियांवाला बाग कांड के समान घटना बताया है। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को इस घटना के बारे में जागरूक करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्थानीय शिक्षाविद भारत भूषण चौहान ने मुलुक चलो आंदोलन के शहीदों को स्मरण किया। सभाध्यक्ष घनश्याम पांडेय ने कहा कि शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले के कथन के तहत जन जागरण के लिए प्रयास जारी रहना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन कोइया के सामाजिक कार्यकर्ता रामकुमार नुनिया ने किया।

समारोह में मनोज कुमार रुद्रपाल, सियाराम चौहान, सत्यनारायण तेली, विष्णु भर, संतोष राय, शिवकुमार नुनिया, रामलाल भर, बलिराम नुनिया, किशन कोल आदि शामिल थे।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद/सुनील

   

सम्बंधित खबर