करीमगंजः कुशियारा के तटवर्ती क्षेत्रों के बाढ़ प्रभावित लोग आश्रय शिविरों में रहने को मजबूर

करीमगंज (असम), 01 जून (हि.स.)। करीमगंज में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थित कुशियारा नदी के आसपास के इलाकों में रहने वाले परिवारों के लिए बाढ़ के पानी ने गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। कुशियारा नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के चलते बाढ़ प्रभावित लोगों को आश्रय शिविरों में रहने को मजबूर होना पड़ा है।

दरअसल, बंगाल की खाड़ी से उठे चक्रवात रेमल के कारण राज्य में 27 मई से लगातार कई दिनों तक भारी बारिश हुई। इसके चलते कुशियारा के साथ ही अन्य कई नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया। नतीजतन, राज्य के अन्य कई जिलों के साथ ही बराक घाटी के तीनों जिलों कछार, करीमगंज और हैलाकांदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गयी।

पथारकांदी निर्वाचन क्षेत्र में भी लोंगाई नदी का पानी बाढ़ का सबब बन गया है। करीमगंज जिले में कुल 16 शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जिले के नीलमणि रोड, एमएमसी रोड इलाकों के लगभग तीन सौ बाढ़ पीड़ितों ने शहर के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नीलमणि लोअर बेसिक स्कूल और नीलमणि उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शरण ली है। आज करीमगंज जिले में बाढ़ की स्थिति में मामूली सुधार हुआ है। जिले की तीन प्रमुख नदियों का पानी फिलहाल मामूली रूप से घट रहा है।

बराक घाटी में आई बाढ़ को देखते हुए राज्य सरकार के जल संसाधन विभाग के मंत्री पीयूष हजारिका ने लगातार दो दिनों तक बराक घाटी का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। इसके साथ ही संबंधित विभाग के शीर्ष अधिकारियों को तटबंधों की तुरंत मरम्मत करने तथा प्रभावितों को राहत पहुंचाने के लिए आवश्यक निर्देश दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/ अरविंद/दधिबल

   

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