राम काल्पनिक नहीं थे और मैं कल्पना नहीं कर सकता था- डॉ. विश्वकर्मा

उदयपुर, 7 जून (हि.स.)। अयोध्या में बिराजित रामलला की प्रतिमा से पहले उसका चित्र बनाने वाले डॉ. सुनील विश्वकर्मा का कहना है कि भगवान राम काल्पनिक नहीं थे और उनके चित्र की वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे। चित्र बनाना शुरू करने और चित्र पूरा होने के क्षण का भान उन्हें है, इस दरमियान क्या हुआ, उन्हें नहीं पता। उन्होंने भी भगवान से तीन दिन तक यही प्रार्थना की थी कि अब आप जैसा बनवाना चाहते हैं, आपके हाथों में है और जो आज सामने है यह उनके द्वारा मुझसे करवाया गया कार्य है, वे सिर्फ इस कार्य के निमित्त बने।

यहां प्रताप गौरव केन्द्र 'राष्ट्रीय तीर्थ' में चल रहे महाराणा प्रताप जयंती समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को राष्ट्रीय कला कार्यशाला में कला के साधकों व विद्यार्थियों से परिचर्चा में उन्होंने यह बात कही। रामलला का चित्र बनाने का अवसर प्राप्त होने के संदर्भ में उन्होंने बताया कि संबंधित कमेटी के पास देश भर से 82 चित्र पहुंचे थे। इस बीच, कमेटी से जुड़े एक सदस्य ने नृपेन्द्र मिश्रा को विश्वकर्मा के बारे में जानकारी दी और विश्वकर्मा से भी चित्र मंगवाया गया। तीन चित्रकारों के चित्र चयनित हुए और अंत में विश्वकर्मा का चित्र सभी को पसंद आया।

डॉ. विश्वकर्मा बताते हैं कि वैसे वे बचपन से देवी- देवताओं के चित्र- पोस्टर बनाते आए हैं, लेकिन रामलला की 5- 6 वर्ष की आयु की संकल्पना मुश्किल थी, भगवान कृष्ण की बालपन की छवि बनती रही है, किन्तु रामलला के चित्र में बालसुलभ प्रकृति, आदर्श जीवन के संस्कारों की झलक और ईश्वरत्व, इन सभी के दर्शन होने जरूरी हैं। इसलिए यह एक चुनौती थी। और जब यह छवि प्रतिमा के रूप में उभर कर आई तो पूरा देश भावविभोर हो गया। न तो उन्हें लगता है कि यह उन्होंने बनाई और प्रतिमा बनाने वाले मूर्तिकार भी यही कहते हैं कि उन्हें भी नहीं लगता कि प्रतिमा उन्होंने बनाई। यह तो रामजी को उनसे बनवानी थी, उन्होंने ही उनके हाथों से बनवाई।

विद्यार्थी दिविष्ठा राठौड़ के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि अयोध्या में प्रतिमा प्रतिष्ठापित होने तक सभी के मन में अलग- अलग छवियां थीं, लेकिन अब हर देशवासी और विश्व में रहने वाले भारतवासियों के मन में रामलला की यही छवि विद्यमान हो चुकी है। यह सब प्रभु की कृपा है।

विद्यार्थी कृष्णा मेहता के सवाल पर उन्होंने कहा कि कला अपने आप में ध्यान है। इसे उत्कृष्ट बनाने के लिए अलग से ध्यान की जरूरत नहीं है, बस निरंतर अभ्यास करते रहिये। उन्होंने कहा कि कला को मोक्ष का साधन माना गया है। इसके लिए मेहनत नहीं, बल्कि लगन और दिल से काम करने की जरूरत है। जब भी मन प्रसन्न हो और दिल करे कि कुछ बनाना चाहिए, तभी आप काम कीजिये। दूसरो की कृतियों में अच्छाइयां तलाशिये और अपनी कृतियों में कमियां तलाशिये, आपकी रचना में स्वत: निखार आ जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि एआई से भी डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि एआई का अपने क्षेत्र में प्रयोग करने की जरूरत है।

कार्यशाला संयोजक प्रो. मदन सिंह राठौड़ ने बताया कि डॉ. विश्वकर्मा के यहां पहुंचने पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष डॉ. भगवती प्रकाश शर्मा, महामंत्री पवन शर्मा, उपाध्यक्ष मदनमोहन टांक आदि ने उनका स्वागत किया। दूसरे दिन की कार्यशाला में नई दिल्ली के डॉ लक्ष्मण प्रसाद, अजमेर की डॉ निहारिका राठौड़, उदयपुर से डॉ अनुराग शर्मा, डॉ रामसिंह भाटी, डॉ शंकर शर्मा, पुष्कर लोहार, डॉ निर्मल यादव, मनदीप शर्मा, हर्षित भास्कर एवं ओमप्रकाश सोनी का सान्निध्य प्रतिभागियों को मिला।

ऋग्वेद के सूक्तों का चित्रण है सिंधु लिपि में- डॉ. धर्मवीर शर्मा

—राष्ट्रीय पुरालेख एवं भाषा विज्ञान कार्यशाला में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक डॉ. धर्मवीर शर्मा ने कहा कि सिंधु लिपि में जितने भी चित्रों और चिह्नों को देखा गया है वे वैदिक सूक्तों के परिचायक हैं। वहां जिसे पशुपतिनाथ की सील कहा जा रहा है वह उद्भिज अग्नि का चित्रण है जो जीवन प्रदायी संतानोत्पत्ति की परिचायक है। यह ऋग्वेद के पहले मण्डल का पहला सूक्त 'अग्निमिले पुरोहिताम' का चित्र रूप प्रदर्शन है। इससे पूर्व, कार्यशाला के संयोजक डॉ. विवेक भटनागर ने उनका स्वागत किया।

कथा कथन कार्यशाला में बताया इस कला का महत्व

—कथा कथा कार्यशाला के संयोजक गौरीकांत शर्मा ने बताया कि कार्यशाला के दूसरे दिन जयपुर से आए आरजे, वाइस एक्टर, स्क्रिप्ट राइटर, यू- ट्यूबर निधीश गोयल ने पब्लिक स्पीकर के रूप में कथा कथन के महत्व, उसके तरीकों और उसकी आवश्यकता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कहानी कहने से पहले कहानी पढ़ने एवं उस पर मनन करने की जरूरत होती है। अनुदेशक रचना सक्सेना और मनीष शर्मा ने कथा कथन के उद्देश्य एवं फीडबैक की महत्ता से परिचय करवाया। तीसरे दिन शनिवार को सुशील गोस्वामी, अतुल गंगवार और अर्पित के सत्र होंगे।

स्ट्रेस बूस्टिंग तकनीक पर हुआ व्याख्यान

—जीवन कौशल एवं व्यक्तित्व विकास कार्यशाला में शुक्रवार का विषय स्ट्रेस बूस्टिंग तकनीक व वेयर इस माय सक्सेस फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप रहा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता पुष्पेंद्र पण्ण्किर, रचना ए. सक्सेना व विकास छाजेड़ थे। कार्यक्रम का संचालन वर्कशॉप के संयोजक जयदीप आमेटा ने किया।

लघु फिल्म निर्माण में बना रहा रुझान

—लघु फिल्म निर्माण कार्यशाला के संयोजक डॉ. सतीश अग्रवाल ने बताया कि कार्यशाला में प्रतिभागियों का रुझान दूसरे दिन भी बना रहा। दूसरे दिन फिल्म निर्माण की प्रक्रिया एवं फिल्म निर्माण के उपकरण विषय पर शुभम शर्मा ने तथा स्वर और अभिनय पर अरविंद चौधरी ने कक्षा ली। मौजूदा दौर में शॉर्ट फिल्म के बढ़ते चलन को देखते हुए इस कार्यशाला में युवाओं की सक्रियता दिखाई दी।

शनिवार को आएंगे मुख्यमंत्री और सहसरकार्यवाह

-प्रताप गौरव केन्द्र के निदेशक अनुराग सक्सेना ने बताया कि 8 जून को शाम साढ़े पांच बजे जयंती समारोह का उद्घाटन कार्यक्रम होगा। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल मुख्य वक्ता होंगे। कार्यक्रम में मुख्य आतिथि राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में नवनिर्वाचित सांसद मन्नालाल रावत, जीएम ग्रुप के चेयरमैन रमेश जैन, जी बिजनेस के प्रबंध सम्पादक अनिल सिंघवी, यूनियन बैंक के जीएम विपिन कुमार शुक्ला उपस्थित रहेंगे।

यह रहेगी पार्किंग और प्रवेश व्यवस्था

—केन्द्र की ओर से आग्रह किया गया है कि कार्यक्रम में पधारने वाले आगंतुक अतिथि फतहसागर- बड़ी मार्ग से टाइगर हिल स्थित गौरव केन्द्र तक पहुंचें, ताकि देवाली- मदार नहर किनारे के मार्ग पर यातायात जाम की स्थिति न बने। इसी तरह, दुपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए गौरव केन्द्र के समीप स्थित श्रीमाली समाज के संस्कार भवन परिसर को आरक्षित रखा गया है। इसके पास स्थित सिद्धपीठ मां भगवती विकास संस्थान का परिसर तथा बड़ी मार्ग की ओर स्थित विजयगढ़ के सामने वाला खाली स्थान चार पहिया वाहनों की पार्किंग के लिए रखा गया है। प्रवेश के लिए भी तीन द्वार बनाए गए हैं। प्रताप गौरव केन्द्र के मुख्य द्वार के सामने वाले द्वार क्रमांक 2 को सुरक्षा की दृष्टि से अति विशिष्ट अतिथियों के प्रवेश के लिए आरक्षित रखा गया है। मां भगवती संस्थान की ओर वाले द्वार क्रमांक 3 से विशिष्ट अतिथि तथा पत्रकार बंधु प्रवेश कर सकेंगे। विजयगढ़ के सामने वाली पार्किंग के पास वाले द्वार क्रमांक 1 से सामान्य अतिथियों का प्रवेश रहेगा।

आज ही सेमिनार और अमरता री वातां भी

-8 जून को ही अपराह्न चार बजे जी बिजनेस के प्रबंध सम्पादक अनिल सिंघवी ‘आब्स्टेकल्स टू अपोर्चुनिटीज’ विषय पर उद्बोधन देंगे। रात्रि 8.30 बजे कथा-कथन ‘अमरता री वातां’ कार्यक्रम होगा। इसमें बाबा निरंजन नाथ महाराज, शांतिलाल गुलेचा, वैद्य लक्ष्मीनारायण जोशी, विलास जानवे, मनीष शर्मा व हर्षिता शर्मा कथा कथन करेंगे।

9 जून सुबह 7 बजे दुग्धाभिषेक से रात को कवि सम्मेलन तक विभिन्न कार्यक्रम

-महाराणा प्रताप जयंती समारोह के संयोजक सीए महावीर चपलोन ने बताया कि 9 जून को महाराणा प्रताप जयंती पर आयोजनों का आरंभ सुबह 7 बजे महाराणा प्रताप की विशाल 57 फ़ीट की बैठक प्रतिमा के दुग्धाभिषेक से होगा। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र प्रचारक निम्बाराम के सान्निध्य में होगा। सुबह 9.30 बजे से शाम तक विभिन्न कार्यशालाओं की विशेष मास्टर कक्षाएं होंगी। शाम साढ़े पांच बजे विशाल सभा होगी जिसमें उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी मुख्य अतिथि होंगी। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह राठौड़ होंगे। विशिष्ट अतिथि के रूप में राजसमंद से नवनिवार्चित सांसद महिमा कुमारी मेवाड़, सेलो ग्रुप के निदेशक गौरव राठौड़ उपस्थित रहेंगे।

इसी दिन, रात्रि 8 बजे वीर रस कवि सम्मेलन ‘जो दृढ़ राखे धर्म को’ का आयोजन होगा जिसमें काव्य जगत के हस्ताक्षर हरिओम सिंह पंवार, किशोर पारीक, अशोक चारण, अजात शत्रु, सुदीप भोला, राम भदावर, मनु वैशाली, शिवांगी सिकरवार, ब्रजराज सिंह जगावत अपनी ओजस्वी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे।

स्थगित रहेगा वाटर लेजर शो

-महाराणा प्रताप जयंती समारोह के तहत प्रताप गौरव केन्द्र पर शाम को होने वाला वाटर लेजर शो ‘मेवाड़ की शौर्य गाथा’ 8 व 9 जून को स्थगित रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता/ईश्वर

   

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