गुरुग्राम: नारियल, जूट, बांस, मिट्टी के दाना-पानी घोंसलों में पंछियों का जीवन हो रहा सुरक्षित

-वर्ष 2020 से लेकर अब तक लगाए जा चुके हैं 2500 से अधिक घोंसलें

-टीम नवकल्प पूरी शिद्दत से अपने संकल्प को पूरा करने में कर रही परिश्रम

गुरुग्राम, 9 जून (हि.स.)। पछियों, वन्य प्राणियों के बिना हम प्राणियों का जीवन संकट में आ सकता है। ऐसे में इनका संरक्षण भी बहुत जरूरी है। इसके लिए वर्ष 2020 से संकल्प लेकर काम कर रही नवकल्प फाउंडेशन ने अब तक 2500 से अधिक दाना-पानी घोंसले पेड़-पौधों, पार्कों, बालकॉनी में लगाकर पछियों का जीवन सुरक्षित किया है।

वर्ष 2020 से पंछियों के लिए दाना-पानी नेस्ट लगाने/वितरण करने का अभियान नवकल्प फाउंडेशन की ओर से शुरू किया था। अभी तक गुरुग्राम, फरीदाबाद, अलवर सहित दिल्ली एनसीआर के कई स्थानों में 2500 से अधिक घोंसले वितरित कर चुके हैं, जिनमें से अधिकांश लग चुके हैं। नवकल्प फाउंडेशन के संस्थापक अनिल आर्य व महासचिव डा. सुनील आर्य के अनुसार नारियल, जूट, बांस, मिट्टी के पात्रों से बने इन घोंसलों को इस तरह से डिजायन किया गया है कि पंछियों को पानी, दाना और रहने में आसानी हो और एक साथ उन्हें दाना-पानी मिल जाए। उन्होंने कहा कि हमें बेहद संतोष है कि इस अभियान से जुडऩे के लिए हर साल अनेक प्रकृति प्रेमी संपर्क करते हैं। इन घोंसलों में दाना चुगने, पानी पीने गिलहरी, कबूतर, चिडिय़ा व अन्य पंछी भी आते हैं।

महासचिव डा. सुनील आर्य बताते हैं कि नवकल्प फाउंडेशन के साथ आरडब्ल्यूए, एनजीओ, सामाजिक-धार्मिक संस्थाएं व व्यक्तिगत रूप से लोग जुड़ते जा रहे हैं। विभिन्न पार्कों, सोसायटी, स्कूल्स में इस वर्ष करीब 250 घौंसले लगाए जा चुके हैं। पर्यावरण दिवस पर भी कई घोंसले लगाए गए। यह अभियान गर्मी के मौसम में निरंतर जारी है। नवकल्प की एक टीम विशेष रूप से स्कूल्स में जाकर बच्चों को न केवल दाना-पानी घोंसलों की उपयोगिता सार्थकता बताती है, बल्कि उन्हें पर्यावरण, प्रकृति, जीव जंतु, पंछियों के उनके दायित्व बोध के लिए प्रेरित भी करती है। स्कूल अभियान की संयोजिका मीनाक्षी सक्सेना बताती हैं कि नवकल्प की इस पहल में स्कूल प्रबंधन और पेरेंट्स भी पूरे उत्साह से भाग लेते हैं। बच्चों की प्रतिभागिता उनके चेहरे पर छाई खुशी हमें अपने कर्तव्य पथ पर निरंतर जुटे रहने के लिए हौंसला देती है।

हिन्दुस्थान समाचार/ईश्वर/संजीव

   

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