प्राचीन भारतीय संस्कारों की अनुपालना करना समय की जरूरत : प्रो. बंसल

संगोष्ठी में मौजूद प्रतिभागी।संगोष्ठी में मौजूद प्रतिभागी।संगोष्ठी में मौजूद प्रतिभागी।संगोष्ठी में मौजूद प्रतिभागी।

धर्मशाला,12 जून (हि.स.)। हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र और सामाजिक नृविज्ञानविभाग द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का बुधवार को समापन हो गया है। “आधुनिक समाज, दिशा एवं चुनौतियां : वांछित प्रतिउत्तर स्वामी विवेकानंद” विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में जाने-माने सामाजिक चिंतक अरुण जैन मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने की। इसमें विशिष्ट वक्ता के रूप में किस्मत कुमार एवं भारतीय जनसंचार संस्थान जम्मू के क्षेत्रीय निदेशक प्रो. अनिल सौमित्र ने अपने विचार प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम में प्रो. अनिल कुमार, विभागाध्यक्ष, समाशास्त्र एवं सामाजिक नृविज्ञान विभाग ने स्वागत संबोधन दिया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन डा.गिरीश गौरव ने दिया। समापन सत्र में प्रो. प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता (अकादमिक) भी मौजूद रहे। कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल ने कहा कि वर्तमान भारत में हमें प्राचीन भारतीय संस्कारों की अनुपालना करने की आवश्यकता है। वहीं किस्मत कुमार ने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में स्वामी विवेकानंद जी के विचार प्रासंगिक हैं और भारत की पहचान धर्म से है। अनिल सौमित्र ने कहा कि आज की परिस्थितियों में यह जरूरी है कि स्वामी विवेकानंद जी के विचार बौद्धिक वृत में स्वीकार्य हों।

अनिल जैन ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का मूल मंत्र था दुखी और दरिद्र व्यक्तियों की पूजा करना। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान भारत में यह आवश्यक है कि साधु-सन्त समाज को स्वामी विवेकानंद के विचारों के अनुसार दिशा दें। वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए, संगोष्ठी संयोजक डॉ. गिरीश गौरव ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए कुलपति एवं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए काम कर रही अपनी टीम का हार्दिक धन्यवाद किया।

समापन सत्र से पहले हुई तीन पैनल चर्चाओं में पहली पैनल चर्चा में विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की विदुषी निवेदिता भिडे ने अपने विचार प्रस्तुत किए। दूसरी पैनल चर्चा में रामकृष्ण मठ के स्वामी दिव्यसुधानंद महाराज एंव तीसरी और अंतिम पैनल चर्चा में समाजशास्त्र विज्ञान के प्रख्यात विद्वान प्रो. आनंद कुमार ने अपने विचार व्यक्त किए।

वहीं इस चर्चा में हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उपाध्यक्ष एवं हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि यात्राएं दुनिया को एक कुटुम्ब बनाती हैं और हमारा सुख-दुख संस्कारों से संचालित होता है।

हिन्दुस्थान समाचार/सतेंद्र/सुनील

   

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