शान्ता कुमार ने की स्वामी रामदेव को भारत रत्न देने की वकालत

shanta kumar

पालमपुर, 15 जून (हि.स.)। पूर्व केन्द्रीय मंत्री शान्ता कुमार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिख कर स्वामी रामदेव को भारत रत्न देने की वकालत की है। उनका तर्क है कि योग और स्वदेशी के लिए अत्यन्त सराहनीय और ऐतिहासिक कार्य करने के लिए स्वामी रामदेव को यह सम्मान मिलना चाहिए।

शान्ता कुमार ने शनिवार को एक बयान में कहा कि 21 जून को पूरा विश्व योगमय हो जाएगा। यह भारत के लिए अत्यन्त सौभाग्य की बात है। सदियों तक योग कुछ आश्रमों तक सीमित रहा। देश के इतिहास में पहली बार एक अकेले संन्यासी स्वामी रामदेव ने आस्था चैनल के सहयोग से सदियों बाद योग को घर-घर पहुंचाया। एक जन आंदोलन बनाया। स्वामी रामदेव योग प्रचार के लिए विदेशों में भी गये।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के सहयोग से विश्व के 165 देशों के समर्थन से 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐतिहासिक निर्णय हुआ।

शान्ता कुमार ने कहा कि स्वतन्त्रता आन्दोलन में महात्मा गांधी ने स्वदेशी का मंत्र दिया। विदेशी माल की होली जलाई। उसके बाद देश आजाद हो गया। सरकारें आती जाती रहीं परन्तु महात्मा गांधी का स्वदेशी का सपना सपना ही रहा। एक अकेले स्वामी रामदेव ने अपने सहयोगी आचार्य बाल कृष्ण के सहयोग से स्वदेशी उत्पाद और उनकी विश्वसनीयता की आंधी से महात्मा गांधी के स्वदेशी के सपने को साकार करके दिखाया। शक्तिशाली विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के शोषण से भारत को बचाया।

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, स्वामी रामदेव ने पतजंलि स्वदेशी उत्पाद के माध्यम से देश के लाखों लोगों को रोजगार देने का ऐतिहासिक काम किया।

शान्ता कुमार ने कहा कि पतंजलि उद्योग से लाखों करोड़ों रुपये के होने वाले लाभ का उपयोग केवल भारतीय संस्कृति के विकास के लिए विश्वविद्यालय और कुछ और संस्थाएं खोलने के लिए किया जा रहा है। यह विशेष विचारणीय है कि विश्व के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जहां इस प्रकार के किसी व्यक्ति ने इतने अधिक महत्वपूर्ण असंभव काम करके दिखाये हों।

शान्ता कुमार ने कहा कि स्वामी रामदेव का सम्मान हजारों साल पहले के उन ऋृषियों मुनियों को बहुत बड़ी श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने तपस्या और साधना से योग के वरदान का अविष्कार किया था।

हिन्दुस्थान समाचार/सुनील/दधिबल

   

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