नई शिक्षा नीति में अनुसंधान व शोध पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत—कलराज मिश्र

मदस विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह:

अजमेर, 15 जून(हि.स)। राजस्थान की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी, अजमेर का 11वां दीक्षान्त समारोह राज्यपाल कलराज मिश्र की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित किया गया। समारोह में 45 स्वर्ण पदक, एक कुलाधिपति पदक तथा 165 पीएचडी, 98 हजार 979 उपाधियां वितरित की गई। मंच पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, विशिष्ट अतिथि उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा व जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, कुलपति प्रो. अनिल कुमार शुक्ला आदि मौजूद रहे।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए महर्षि दयानंद सरस्वती के बताए आदर्श को जीवन में उतारने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हमें नई शिक्षा नीति में अनुसंधान व शोध पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही रोजगार पैदा करने की क्षमता रखने वाली शिक्षा हो। शिक्षा ऐसी हो, जिसमें बेहतर मानव संसाधन तैयार हो। युवा शक्ति मेक इन इंडिया की तरफ आगे बढे़। प्राचाीन ज्ञान पर ध्यान दे और गुलामी की मानसिकता वाली शिक्षा से बाहर निकले। युवा शक्ति का सर्वांगीण विकास की राह आसान हो। ज्ञान के साथ अर्थ का भी योग हो। समारोह में राज्यपाल ने सबसे पहले पीएचडी धारको को प्रमाण पत्र सौंपे। राज्यपाल मिश्र ने सभी से आग्रह किया कि वाणी, चर्या व व्यवहार से अपने आपको उपाधि के योग्य साबित करेंगे।

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष व अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने कहा कि शिक्षा से जीवन को कितना सार्थक कर सकते है, इस पर चिंतन जरूरी है। आज शिक्षित अधिक व दीक्षित कम है। भारत विश्व गुरु बनेगा और इसके लिए जीवन में कुछ मूल्य जरूरी है। राष्ट्र प्रथम का भाव जगाने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती के नाम से यूनिवर्सिटी में भवन भी महापुरुषों के नाम से है, जो अनूठा है। उन्होंने पहले कुलपति पुरुषोत्तम चतुर्वेदी को भी याद किया। साथ ही नई शिक्षा नीति की सराहना की।

इससे पहले अजमेर पहुंचने पर उन्होंने यहां संविधान पार्क का लोकार्पण किया। करीब 2.5 करोड़ से बने पार्क में संविधान की उद्देशिका, पट्टिकाएं, प्रतिमा व अन्य निर्माण हुए हैं। इनमें संविधान निर्माताओं की प्रतिमा भी लगाई गई है। इसके बाद वे सभागार में पहुंचे। राष्ट्र गान के बाद सरस्वती वंदना की गई। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि सबसे पहले बेटियों को बधाई देता हूं, जिनकी संख्या ज्यादा रही। उन्होंने कहा कि स्वर्ण पदक 46 थे, इसमें 25 यानि 55 फीसदी छात्राएं रही। इसी प्रकार पीएचडी में 165 में 89 छात्राएं यानि 54 प्रतिशत रही।

जीवन में जितना संघर्ष उतनी जीत शानदार

उपमुख्यमंत्री व उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि शिक्षा सतत प्रक्रिया है। शिक्षा मनुष्य को विकास की ओर ले जाती है और शिक्षा के लिए एकाग्रता जरूरी है। उन्होंने कहा कि खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है और जीवन में जितना संघर्ष होगा, उतनी ही जीत शानदार होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हाल ही में कहा कि हमारे अन्दर का विद्यार्थी सदैव जीवित रखना चाहिए। उन्होनें जीवन में सकारात्मक रहने की अपील की। उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विवि की अहम भूमिका होगी। जल संसाधन मंत्री सुरेशसिंह रावत ने अजमेर की पहचान फिर से कायम करने के लिए मिलकर प्रयास करने का संकल्प दिलाया। उन्होंने अपनी ओर से हर सम्भव मदद करने का भरोसा दिलाया।

शिक्षकों की संख्या कम और पद खाली फिर भी अच्छा किया—कुलपति

समारोह में 45 स्वर्ण पदक, एक कुलाधिपति पदक तथा 165 पीएचडी, 98 हजार 979 उपाधियां वितरित की गई। कुलपति प्रो. अनिल कुमार शुक्ला ने सम्बोधित करते हुए अतिथियों का स्वागत किया और महर्षि दयानन्द सररस्वती व विश्वविद्यालय के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति में मूर्ति बनाई नहीं जाती बल्कि तराशी जाती है। शिक्षकों ने जिस तरह विद्यार्थियों को तराशा, वे आज सामने है। आज आपको अंक पत्र नहीं बल्कि उपाधि पत्र मिल रहे हैं। शिक्षकों की संख्या कम है और पद खाली है। फिर भी प्रयास है कि अच्छा करें और अच्छा किया।

हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/संदीप

   

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