आतंकी हमले में गंभीर रूप से घायल छह मरीजों की जीवन रक्षक सर्जरी की गई, दस की छुट्टी, पांच अभी भी निगरानी में

जम्मू, 15 जून (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हुए आतंकी हमले में सबसे गंभीर रूप से घायल छह मरीजों की जीवन रक्षक सर्जरी की गई। शनिवार को डॉक्टरों ने यह जानकारी दी।

श्री माता वैष्णो देवी (एसएमवीडी) नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक ने बताया कि हमारी प्राथमिकता मरीजों को स्थिर करना और जान बचाना था। कटरा के एसएमवीडी नारायण अस्पताल में गंभीर रूप से घायल 15 मरीजों को भर्ती कराया गया। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उनमें से दस को पहले ही छुट्टी दे दी गई है और पांच अभी भी निगरानी में हैं तथा इलाज के प्रति अच्छी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई और 41 उस समय घायल हो गए जब आतंकवादियों ने पौनी क्षेत्र के त्रयाठ गांव के पास शिव खोडी मंदिर से लौट रहे तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर आतंकियों ने गोलीबारी की। गोलीबारी के बाद 53 सीटों वाली बस सड़क से फिसलकर गहरी खाई में गिर गई।

अस्पताल के निदेशक डॉ. मथावन ने बताया कि कोड ऑरेंज जो बाहरी आपदाओं को संदर्भित करता है, आतंकी हमले के पीड़ितों के लिए सक्रिय किया गया था। डॉ. सोनिया डोगरा (आपातकालीन चिकित्सा), डॉ. सुहैल खुरू (जीआई सर्जरी) और डॉ. विकास पाधा (ऑर्थाेपेडिक्स) के नेतृत्व में एक समर्पित आपातकालीन टीम को तुरंत सक्रिय किया गया।

डॉ. मथावन ने कहा कि डॉक्टरों की टीम ने सबसे गंभीर रोगियों पर छह जीवन रक्षक सर्जरी की, जिनमें लक्ष्मी देवी (35) शामिल थीं, जिन्हें पेट में गंभीर चोटें आई थीं और रिक्षोना (29) को तिल्ली में गंभीर चोट लगी थी। डॉ. खुरू ने लक्ष्मी की हालत को सफलतापूर्वक स्थिर किया और रिक्षोना पर जीवन रक्षक स्प्लेनेक्टोमी की।

उन्होंने कहा कि पूरी टीम ने हमारी उन्नत सुविधाओं और विशेषज्ञता का उपयोग करते हुए सर्वाेत्तम संभव देखभाल प्रदान करने के लिए अथक परिश्रम किया। हमने कोड ऑरेंज को सक्रिय किया और लगभग 150 कर्मचारियों ने तुरंत प्रतिक्रिया दी। चिकित्सा कर्मचारियों और रोगियों दोनों ने ही प्रेरणादायक लचीलापन दिखाया।

हमले में छर्रे लगने से घायल हुई उषा पांडे (43) ने कहा कि मैं घबरा गई थी लेकिन डॉक्टरों और नर्सों ने मेरे साथ दयालुता और देखभाल से व्यवहार किया। उन्होंने न केवल मेरे घावों को ठीक किया बल्कि मुझे यह विश्वास करने की शक्ति भी दी कि मैं ठीक हो सकती हूँ। मैं उनकी आभारी हूँ। बंटी गुप्ता (30), जिन्हें गोली लगी थी ने कहा कि जब मैं आया तो मेरी हालत बहुत खराब थी। स्टाफ ने मेरे साथ परिवार जैसा व्यवहार किया। उनका समर्पण और करुणा असाधारण रही है और मैं उनका हमेशा आभारी रहूंगा।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुल गर्ग ने कहा कि टीम के समन्वित प्रयास महत्वपूर्ण थे। हर सेकंड मायने रखता है। एक अच्छी तरह से सुसज्जित सुविधा होने से हमें तत्काल एवं दयालु देखभाल प्रदान करने की अनुमति मिली। हमारे रोगियों को ठीक होते देखना सबसे बड़ा पुरस्कार है। उन्होंने कहा कि श्राइन बोर्ड बिना शर्त पूरे इलाज का खर्च वहन करेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / बलवान/प्रभात

   

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