भारतीय प्रजातंत्र में जनजातीय समाज का स्थान रीढ़ की हड्डी के बराबरः उपराष्ट्रपति

डिंडौरी, 19 जून (हि.स.)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि भारतीय प्रजातंत्र में जनजातीय समाज का स्थान शरीर की रीढ़ की हड्डी के बराबर है। जनजाति ही भारतीय संस्कृति और प्रजातंत्र को बल देती है। देश के इतिहास में पहली बार एक जनजातीय समाज की महिला राष्ट्रपति बनती है, यह गौरव का पल है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ बुधवार को डिंडौरी प्रवास के दौरान यहां शासकीय चंद्र विजय कॉलेज परिसर में विश्व सिकल सेल दिवस पर आयोजित राज्यस्तरीय परामर्श शिविर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व, उपराष्ट्रपति ने कॉलेज परिसर में पौधरोपण करने के बाद दीप प्रज्ज्वलित करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, ग्रामीण विकास मंत्री पहलाद पटेल सहित अन्य अतिथि मौजूद रहे। इस परामर्श शिविर में जिलेभर से 1970 मरीज पहुंचे।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का दिल जनजाति के लिए धड़कता है। उन्होंने कहा कि 1989 में जब मैं सांसद बना, केंद्र में मंत्री बना तो हमारी अर्थव्यवस्था लंदन शहर और पेरिस से भी छोटी थी। हमारा सोना हमने स्विटजरलैंड को गिरवी रखा था और अब देखिए हम कहां से कहां आ गए। हमने बहुत सारे देशों को पीछे छोड़ दिया। इसमें जनजातीय समाज का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की पहचान जनजाति कल्चर है। इसी वजह से भारत के प्रधानमंत्री ने दो बड़े संकल्प लिए हैं। भारत जहां दुनिया का छठवां हिस्सा रहता है, जब वह 2047 में आजादी की शताब्दी मनाएगा, तो भारत विकसित राष्ट्र होगा और विकसित राष्ट्र की पहचान होगी सिकल सेल बीमारी का पूर्ण अनुमूलन। आयुष्मान योजना के माध्यम से इस बीमारी को जड़ से खत्म करेंगे।

क्या है सिकल सेल एनीमिया-

नोडल अधिकारी डॉ. मनोज उरैती ने बताया कि यदि माता-पिता दोनों में सिकल सेल के जीन हैं तो बच्चों में इस बीमारी का होना स्वाभाविक है। इस बीमारी में रोगी की लाल रक्त कोशिका हंसिये के आकार में परिवर्तित हो जाती है। सिकल सेल एनीमिया के अगर लक्षण यह नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इन पीड़ितों में खून की कमी, हल्की पीलिया होने से बच्चे का शरीर पीला दिखाई देना, तिल्ली का बढ़ जाना, पेट एवं छाती में दर्द होना, सांस लेने में तकलीफ, हड्डियों एवं जोड़ों में विकृतियां होना, पैरों में अल्सर घाव होना, हड्डियों और जोड़ों में सूजन के साथ अत्यधिक दर्द, मौसम बदलने पर बीमार पढ़ना, अधिक थकान होना यह लक्षण बताए गए हैं।

मप्र में सिकलसेल उन्मूलन के प्रयास-

सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम एवं उपचार के लिए 15 नवम्बर 2021 को राज्य हिमोग्लोबिनोपैथी मिशन का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। मिशन में अलीराजपुर एवं झाबुआ जिलें में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुल 9 लाख 17 हजार जनसंख्या की स्क्रीनिंग की गई। द्वितीय चरण में प्रधानमंत्री द्वारा एक जुलाई 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर 'सिकल सेल उन्मूलन मिशन'- 2047 का शुभांरभ शहडोल ज़िले से किया गया। ‘राष्ट्रीय सिकलसेल उन्मूलन मिशन' में देश के 17 राज्य शामिल हैं। मिशन में मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य जिलों के 89 विकासखंडों में लगभग 1 करोड़ 11 लाख नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की जानी है। द्वितीय चरण में अब तक 49 लाख 17 हजार जनसंख्या की स्क्रीनिंग की जा चुकी है जिसमें से 1 लाख 20 हजार 493 सिकलवाहक एवं 18 हजार 182 सिकल रोगी चिह्नित किए गए हैं।

प्रत्येक जिला चिकित्सालय में जांच की व्यवस्था-

सिकलसेल रोगियों की जांच एवं उपचार सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रत्येक जिला चिकित्सालय में एचपीएलसी मशीन द्वारा पुष्टीकरण जांच की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त अन्य जांच जैसे- सीबीसी, टोटल आयरन, सिरम फेरीटिन आदि जांचों की व्यवस्था निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। सिकलसेल एनीमिया की पुष्टिकरण जांच पीओसी किट द्वारा स्क्रीनिंग स्थल पर त्वरित जांच परिणाम प्राप्त कर सिकल रोगी का प्रबंधन किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/मुकेश/पवन

   

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