लोकतंत्र की दुहाई देकर राहुल गांधी देश के बाहर भारत को कर रहे बदनाम : दयाशंकर मिश्र

- संविधान को कुचलने वाले आज संविधान की बात करते हैं : राजेन्द्र मिश्र

प्रयागराज, 25 जून (हि.स.)। सिविल लाइन स्थित भाजपा कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्र “दयालु गुरु” ने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने भारत के लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास किया। राहुल गांधी भारत में लोकतंत्र की दुहाई देकर देश के बाहर भारत देश की बदनामी करते हैं। 25 जून 1975 को आपातकाल के विरोध में भाजपा द्वारा इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाते हुए लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान किया गया।

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस ने इस लोकसभा चुनाव में जनता को झूठ के जाल में फंसाया। आपातकाल को एक काला दिन के रूप में हमेशा याद किया जायेगा। जिन लोगों ने उस दौर में तत्कालीन तानाशाही सरकार के जुल्म सहे आपातकाल के विरोध में उन लोकतंत्र सेनानियों को भाजपा ने सम्मानित करने का बीड़ा उठाया है। देश के सामने कांग्रेस के झूठ को बेनकाब किया जायेगा।

मीडिया से बातचीत के दौरान संसद में एक सांसद द्वारा जय हिंदू राष्ट्र कहने के सवाल पर दयाशंकर मिश्र दयालु गुरु ने कहा कि जिसे भी जय हिंदू कहने पर आपत्ति है उसे देश छोड़कर चला जाना चाहिए। उस समय के चाटुकारों ने इंदिरा गांधी के इस कदम को सही बताया।

मंत्री ने कहा कि उस दौर को जिन लोगों ने देखा उस दौरान सरकार के जुल्म सहे उसकी पीड़ा वे लोकतंत्र सेनानी ही समझ सकते हैं। अपने स्वार्थ के लिए संविधान संशोधन किए गए। राहुल गांधी सत्ता पाने के लिए बेताब हैं और इसलिए वे संविधान बदलने जैसे झूठ का जाल फैला रहे हैं। कांग्रेस ने देश को बरगलाने का काम किया है।

पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि तत्कालीन राष्ट्रपति से जबरदस्ती हस्ताक्षर कराकर इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगाई। इससे ज्यादा काला धब्बा लोकतंत्र के अंदर नहीं हो सकता। राजेंद्र मिश्र ने कहा कि 25 जून 1975 को लोकतंत्र की हत्या की गई। जिन्होंने भी विरोध किया उनको क्रूरता से जेल के अंदर डाल दिया गया। संविधान को कुचलने वाले आज संविधान की बात करते हैं। आपातकाल के दौरान पूरे देश में हाहाकार मच गया था। जबरन नसबंदी कराई गई। इंदिरा गांधी ने इस देश के इतिहास में एक काला अध्याय जोड़ा है इमरजेंसी लगाकर।

इमरजेंसी में जेल गए भाजपा के वरिष्ठ नेता नरेंद्र देव पांडेय ने बताया कि उस दौर में प्रेस मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जो भी इमरजेंसी के खिलाफ बोलने की कोशिश करता रातों रात उसका वारंट निकाल उसको जेल भेज दिया जाता। पूरे शहर में सन्नाटा था। कर्फ्यू से भी बदतर हालत थी। लोगों में इस कदर भय था कि लोग सरकार या इंदिरा का नाम लेने से डरते थे। जेल अधिकारियों को आदेश था कि मीसाबंदियों के साथ जितना अत्याचार किया जा सकता है उतना किया जाए।

राकेश श्रीवास्तव ने अनुभव बताते हुए कहा कि बेवजह के मुकदमे लगाकर जेल भेजा जा रहा था। राधे कृष्ण दुबे ने इमरजेंसी के काले अध्याय को याद करते हुए बताया कि वे शिशु मंदिर में पढ़ाते थे संघ से जुड़े थे। संघ की योजनानुसार वे इमरजेंसी के दौरान संघ का कार्य देखते थे। उस दौरान उन्हें कई बार पकड़ने की कोशिश की गई। वे छिपते थे, यहां तक कि कई बार वे स्वराज भवन में छिपे।

कार्यक्रम के दौरान इमरजेंसी में जेल भेजे गए लोकतंत्र सेनानियों को राज्य मंत्री ने सभी को माला पहनाकर सम्मानित कर उन्हे प्रणाम किया। इस दौरान लोकतंत्र सेनानी नरेंद्र देव पांडेय, राकेश श्रीवास्तव, राम बाबू केशरवानी, कृष्ण पांडेय, अशोक कुमार श्रीवास्तव, राधे कृष्ण गोस्वामी, डॉ श्रीप्रकाश मिश्र, सुशील कुमार शुक्ला, धनपत पांडेय, विजय कुमार पांडेय को सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर शशि वार्ष्णेय, रणजीत सिंह, कार्यक्रम संयोजक विक्रम भदौरिया, सह संयोजक नटवर लाल भारती, कुलदीप मिश्र, शिवा त्रिपाठी, राजेश गोंड, आनंद दुबे, नवीन शुक्ला सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

   

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