आईआईटी कानपुर व जीबी पंत विश्वविद्यालय के बीच हुआ एमओयू, कृषि प्रौद्योगिकी को मिलेगा बढ़ावा

कानपुर, 26 जून (हि.स.)। आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) ने भारत के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय जीबी पंत विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) किया है। इससे कृषि प्रौद्योगिकी नवाचारों और स्टार्टअप को बढ़ावा मिलेगा। इस एमओयू ने दोनों संस्थानों के डोमेन विशेषज्ञों, स्टार्टअप्स, फंडिंग एजेंसी और हितधारकों को एकजुट किया। इसके साथ ही उत्तर भारत के कृषि उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र में सहयोग और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।

आईआईटी की मीडिया प्रभारी रुचा खेडेकर ने बुधवार को बताया कि कृषि में नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए आईआईटी कानपुर के एसआईआईसी और जी.बी. पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने उत्तराखंड के पंतनगर स्थित जीबीपीयूएएंडटी में एग्रीटेक इनोवेशन एंड स्टार्टअप मीट की संयुक्त मेजबानी की। इस कार्यक्रम में कृषि नवाचार क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों ने अपने विचार रखे, जिनमें डॉ. अजीत सिंह नैन, अनुसंधान निदेशक जीबीपीयूएएंडटी, प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय सह-प्रभारी प्रोफेसर एसआईआईसी आईआईटी कानपुर और डॉ. अमिता जोशी उप महाप्रबंधक बीआईआरएसी ने दोनों संस्थानों के कृषि प्रौद्योगिकी स्टार्टअप्स को विचार और विकास से लेकर सत्यापन, नियामक अनुपालन, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ जुड़कर बाजार तक पहुंच आदि की यात्रा में समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

जीबीपीयूएएंडटी के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने देश के उत्तरी क्षेत्र में कृषि प्रौद्योगिकी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के उत्थान के लिए इस साझेदारी की महत्वपूर्ण क्षमता पर प्रकाश डाला। एसआईआईसी के सह-प्रभारी ने कहा कि जी.बी. पंत विश्वविद्यालय के फैकल्टी और छात्र सदस्यों की ओर से प्रदर्शित उत्साह बहुत ही प्रभावशाली था। मुझे विश्वास है कि यह संबंध इन दो महान संस्थानों और सम्पूर्ण भारतवर्ष के स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए वांछित परिणाम देगा।

जीबीपीयूएएंडटी के अनुसंधान निदेशक डॉ. अजीत सिंह नैन ने कहा कि आईआईटी कानपुर के सहयोग से आयोजित यह एक दिवसीय कार्यशाला, नवाचार और उत्कृष्टता की दिशा में हमारे विश्वविद्यालय के प्रयासों को जारी रखेगी। हम इन विचार-विमर्शों से भविष्य की प्रगति के लिए एक मजबूत नींव रखने की उम्मीद करते हैं। डॉ. अमिता जोशी ने बीआईआरएसी के माध्यम से कृषि स्टार्टअप के लिए उपलब्ध वित्तपोषण अवसरों पर बहुमूल्य जानकारी प्रदान की तथा स्टार्टअप को अपनी प्रौद्योगिकियों के परीक्षण और सत्यापन में सहायता के लिए उपयुक्त संस्थागत सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करने के महत्व पर बल दिया।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/मोहित

   

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