जैव विविधता का संरक्षण जरूरी, जीडीपी में बड़ा योगदान: प्रो. ललित तिवारी

नैनीताल, 28 जून (हि.स.)। कुमाऊं विश्वविद्यालय के अतिथि व्याख्याता निदेशालय के निदेशक प्रो. ललित तिवारी ने शुक्रवार को ऑनलाइन माध्यम से यूजीसी एमएमटीटी द्वारा आयोजित फैकल्टी इंडक्शन प्रोग्राम में दो व्याख्यान दिए। इस अवसर पर प्रो. तिवारी ने जैव विविधता के संरक्षण पर बल दिया।

प्रो. तिवारी ने कहा कि इस वर्ष तापमान का 52 डिग्री और नैनीताल में 33 डिग्री तक पहुंचना प्रकृति के अनियमित दोहन का परिणाम है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के जैव विविधता दिवस तथा पर्यावरण दिवस की थीम ‘बी अ पार्ट ऑफ प्लान’ तथा ‘अवर लैंड अवर फ्यूचर’ पर सभी को मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि 22,530 प्रजातियां विलुप्तिप्राय हो गयी हैं, जबकि विश्व के कई देशों में जैव विविधता 5 से 25 प्रतिशत जीडीपी का निर्माण करती है। उन्होंने नीम, तुलसी, भृंगराज, अदरक, आंवला, ब्राह्मी, लैवेंडर, लौंग, इलायची, काली मिर्च, हल्दी, पान पत्ता, ईसबगोल, सर्पगंधा, सफेद मूसली, अश्वगंधा व घृतकुमारी आदि के गुणो की जानकारी दी तथा बताया कि विश्व में 5,2885 औषधीय पौधे हैं। व्याख्यान में डॉ. अरुज, डॉ. अनिता, डॉ. नईम सहित 95 प्रतिभागी सहायक प्राध्यापक शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. नवीन जोशी/वीरेन्द्र

   

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