उपराज्यपाल ने प्रदेश में अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए स्टार्टअप की क्षमता पर डाला प्रकाश

कहा, स्टार्टअप विश्वविद्यालयों-उद्योगों के अंतर को पाटने का शक्तिशाली साधन
श्रीनगर। उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा ने एनआईटी श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की विकासशील अर्थव्यवस्था में अकादमिक-संचालित स्टार्टअप की भूमिका (आरएएसई 2024)’ पर राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। अपने मुख्य भाषण में, उपराज्यपाल ने इस पहल की सराहना की जिसका उद्देश्य शिक्षा और उद्योग को प्रेरित करने, सशक्त बनाने और जोडऩे के लिए एक वातावरण बनाना और छात्रों को स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का नेतृत्व करने के लिए मार्गदर्शन करना है। मेरा मानना है कि स्टार्टअप विष्वविद्यालयों और उद्योगों के बीच की खाई को पाटने के लिए शक्तिशाली साधन हैं। स्टार्टअप भी दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों- रोजगार सृजन और लाभ सृजन को पूरा करने में सक्षम हैं, उपराज्यपाल ने कहा। उपराज्यपाल ने छात्रों को अपने उद्यमशीलता के सपने को वास्तविकता में बदलने और देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन और आर्थिक विकास में योगदान देने के लिए कार्य-उन्मुख लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित किया। उपराज्यपाल ने कहा, भविष्य के स्टार्टअप उद्यमियों के लिए मेरा संदेश ’प्रॉब्लम फ स्र्ट’ पर ध्यान केंद्रित करना है न कि ’प्रोडक्ट फ स्र्ट’ पर ताकि आपके विचार विकसित भारत की प्रक्रिया को गति दे सकें और युवा छात्रों के बीच उद्यमशीलता की भावना को भी प्रोत्साहित कर सकें। उपराज्यपाल ने शैक्षणिक संस्थानों में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देकर जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को बदलने के लिए शैक्षणिक-संचालित स्टार्टअप क ी क्षमता पर भी प्रकाश डाला। इस संबंध में उन्होंने यूटी प्रशासन की प्रमुख पहलों जैसे जम्मू-कश्मीर स्टार्ट-अप नीति और यूटी में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में स्टार्ट-अप और उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने के लिए समग्र कृषि विकास कार्यक्रम (एचएडीपी) की क्षमता पर प्रकाश डाला। पर्यटन, स्वास्थ्य, लॉजिस्टिक्स, हथकरघा, हस्तशिल्प, बागवानी, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्टार्टअप की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में, हम प्रौद्योगिकी और गैर-प्रौद्योगिकी दोनों क्षेत्रों में युवा उद्यमियों को आवश्यक सहायता और सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार विष्वविद्यालयों/कॉलेजों को भविष्य में निवेश करने और प्रभावशाली नवाचारों के लिए प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। उपराज्यपाल ने भविष्य के उद्यमियों को उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उपराज्यपाल ने कहा कि स्टार्टअप के दो अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य सामाजिक परिवर्तन के लिए नई तकनीक का विकास और हस्तांतरण करना और उद्योग की जरूरतों के अनुसार एक विशाल प्रतिभा पूल बनाना है। उन्होंने जम्मू कश्मीर में एक जीवंत उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए शिक्षा जगत, उद्योग और नीति निर्माताओं के बीच सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगर द्वारा समग्र शिक्षा विभाग, केंद्रीय विष्वविद्यालय कश्मीर, आईसीएआर सीआईटीएच, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और एसकेयूएएसटी-कश्मीर के सहयोग से किया जा रहा है। इस अवसर पर निदेशक एनआईटी श्रीनगर प्रो. ए. रविंदर नाथ, उपकुलपति केंद्रीय विष्वविद्यालय कश्मीर श्री राजेश कुमार पाठक, सचिव प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड डॉ. परीक्षत सिंह मन्हास, अध्यक्ष जेकेबीओएसई डॉ. ठाकुर एसकेआर प्रख्यात वैज्ञानिक, विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी, शोधकर्ता, विभागाध्यक्ष और उद्यमी उपस्थित थे।

 

   

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