नारी शक्ति संगम में वक्ताओं ने कहा- सच्चा सुख संस्कृति और संस्कार में

जबलपुर, 7 जनवरी (हि.स.)। हम अपने बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा तो दे रहे हैं, परंतु उन्हें सच्चा सुख, स्वास्थ्य, संतोष मिले, संस्कार मिले, परिवार और समाज से वे जुड़ें, ऐसी शिक्षा पर भी ध्यान देने की आज बहुत आवश्यकता है। यह विचार रविवार को एमएलबी प्रांगण में सम्पन्न नारी शक्ति संगम को संबोधित करते हुए विदुषियों ने व्यक्त किए।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बचपन से ही योग, प्राणायाम का अभ्यास और गीता उपनिषद आदि का परिचय करवाना चाहिए। ऐसा करने से नई पीढ़ी कभी अवसाद में नहीं जाएगी।

कार्यक्रम की मुख्य वक्ता शोभा पैठनकर ने भारतीय चिंतन में महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। रेखा चूडास्मा ने विकसित होते हुए भारत में महिलाओं की भूमिका पर प्रेरक उद्बोधन दिया। साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने भारत की महान स्त्रियों के बारे में बतलाते हुए सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ण आत्मविश्वास से आगे बढ़ने का आह्वान किया। वक्ताओं ने कहा कि किसी नारी पर अत्याचार होता है तो सभी नारियों को पीड़िता के साथ खड़े होना चाहिए। अपनी संस्कृति को जानें, अध्ययन करें और इसका गौरव नई पीढ़ी और समाज में जगाएँ।

इस सम्मेलन में गृहणियां, छात्राएँ तथा चिकित्सा, इंजिनियर, सीए, प्राध्यापक और उद्योगजगत में सक्रिय नारीशक्ति सहभागी हुईं। इस अवसर पर मेघा पवार, वसुधा, विजयश्री मिश्रा, एडवोकेट प्रियंका मिश्रा, सीमा साहू, प्रिया चौधरी आदि उपस्थित थीं।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश

   

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