हिन्दी बोलने वाले लोग भारत में सर्वाधिक : प्रो. संजीव शर्मा

विश्व हिन्दी दिवस पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गयाविश्व हिन्दी दिवस पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गयाविश्व हिन्दी दिवस पर विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया

मेरठ, 10 जनवरी (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में बुधवार को विश्व हिन्दी दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कला संकायाध्यक्ष प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि भारत में हिन्दी बोलने वाले लोग सर्वाधिक है। हमें हिन्दी बोलने में हीनभावना नहीं महसूस करनी चाहिए।

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में ‘हिंदी भाषा एवं सूचना प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यूको बैंक मेरठ द्वारा चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यलय मेरठ से वर्ष 2022-2023 में एमए हिंदी में सर्वाेच्च अंक प्राप्त दो विद्यार्थियों को ‘यूको राजभाषा संम्मान’ हिंदी के मेधावी विद्यार्थियों का सम्मान योजना के अंतर्गत नगद पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने की। विशिष्ट अतिथि कला संकायाध्यक्ष प्रो. संजीव शर्मा, केंद्रीय गृह मंत्रालय की भारतीय गुणवत्ता परिषद के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. राकेश बी. दुबे, गृह मंत्रालय के सहायक निदेशक राजभाषा मोहन बहुगुणा, यूको बैंक की सहायक महाप्रबंधक व उप अंचल प्रमुख रूचि अग्रवाल, वरिष्ठ प्रबंधक राजभाषा प्रतिभा रतन रहे।

कुलपति ने कहा कि हम भाषा को कहाँ तक पहुँचा सकते हैं, इस पर चर्चा होनी चाहिए। विश्वविद्यालय विद्यार्थियों से ही है, विद्यार्थियों से ही विश्वविद्यालय आगे बढ़ेगा। विद्यार्थियों को आगे आना चाहिए। कला संकायाध्यक्ष प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि हिंदी के क्षेत्र में लोग अंग्रेजी पर जोर देते हैं। भाषा के प्रति अनुराग हृदय से आना चाहिए। आज बहुत से लोग संस्कृत एवं अन्य भाषाओं में लिख रहे हैं। हिंदी संपर्क की भाषा है हिंदी बोलने वाले भारत मंे सर्वाधिक हैं। जब तक अनिवार्य नहीं हो तब तक अंग्रेजी न बोले, हिंदी में ही बोले, हमें स्वयं को हीनता से नहीं देखना है, भाषा केवल माध्यम है। हिंदी भी संप्रेषण का वाहन हो, उसे अच्छी बनाए। सरलीकरण के नाम पर भाषा की दुर्गति नहीं कीजिए। अपनी भाषा को श्रेष्ठ एवं आदर्श बनाएं।

हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. नवीन चंद्र लोहनी ने कहा कि अनेक भाषाओं को एक सूत्रता में बांधने का कार्य हिंदी करती है। आज पूरे विश्व में विश्व हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारतीय हिंदी का प्रयोग सम्पर्क भाषा के रूप में कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अनुरोध किया कि वे हिंदी के साथ सूचना प्रौद्योगिकी से भी जुड़े। वैश्विक स्तर पर हिंदी में जुड़े। सदैव नया सीखने का प्रयास करें।

डॉ. राकेश बी. दुबे ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विश्व मंे रहने वाले प्रत्येक भारतीय से संर्पक पर जोर दिया था। उन्होंने भारतीय प्रवासी दिवस की जानकारी पर भी प्रकाश डाला। हिंदी पूरे देश की जनता के साथ ही नहीं बल्कि पूरे स्वाधीनता आंदोलन का साधन बनी। 10 जनवरी को प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन 1975 को नागपुर में हुआ था। भारत सरकार के कामकाज की राजभाषा हिंदी बनाने के पीछे हुए संघर्ष के विषय में बताया। भारतीय शास्त्रोक्त भाषाओं में हिंदी सर्वाधिक नवीन भाषा है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात हिंदी भाषा के संघर्ष के विषय में बताया। हिंदी सभी उपबोलियों एवं उप भाषाओं का समुच्चय है। आज हिंदी आगे बढ़ रही है। जहाँ हिंदी का घोर विरोध था, आज वे भी भारतीय स्तर पर बात हिंदी में ही करते हैं।

मोहन बहुगुणा ने कहा कि आज के सोशल साईटस में हिंदी जब से जुड़ी है, तब से हिंदी का अच्छा प्रभाव विश्व में गया है। हमने आज कम्प्यूटर के रूप में अपना एक मित्र तैयार कर लिया है जो प्रत्येक कार्य में अपना सहयोग देता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता ने कम्प्यूटर तकनीक और मानव के बीच समन्वय बनाने मंे सहायता मिली है। इसके माध्यम से मशीन में मानव बुद्धि का प्रवेश हुआ है। इस अवसर पर डॉ. अंजू, डॉ. आरती राणा, डॉ. महेश पालीवाल, डॉ. प्रवीण कटारिया, डॉ. यज्ञेश कुमार, डॉ. विद्यासागर सिंह, विनय कुमार, पूजा यादव, अरशदा रिजवी आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/पदुम नारायण

   

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