मृदा उर्वरता बढ़ाने में जैविक खेती का विशेष योगदान:डॉ आनंद कुमार सिंह

कानपुर, 11 जनवरी (हि.स.)। फतेहपुर की कृषि पद्धति ऐसी है जिसमे विभिन्न फसल प्रणाली अपनाई जा सकती है जनपद में धान एवं गेहूं के अधिक उत्पादन लेने से निरंतर मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है मृदा उर्वरता के साथ मानव स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे। यह बात गुरुवार को थरियांव स्थिति कृषि विज्ञान केंद्र पर आयोजित एक दिवसीय किसान मेले में किसानों को संबोधित करते हुए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ आनंद कुमार सिंह ने कही।

उन्होंने कहा कि फतेहपुर की कृषि पद्धति ऐसी है जिसमे विभिन्न फसल प्रणाली अपनाई जा सकती है, जनपद में धान एवं गेहूं के अधिक उत्पादन लेने से निरंतर मृदा स्वास्थ्य में गिरावट आ रही है। मृदा उर्वरता के साथ मानव स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे।

उन्होंने महिलाओं से अपील करते हुए कहा कि पोषक रसोई बागवानी तैयार करें तथा सब्जी नियमित भोजन में शामिल करें। कुलपति ने मृदा स्वास्थ्य एवं टिकाऊ खेती पर विशेष चर्चा की। उन्होंने किसान भाइयों से कहा कि खेती में विज्ञान शामिल करते हुए आय परक खेती करें तथा निरंतर वैज्ञानिकों के संपर्क रहें।

थरियांव स्थिति कृषि विज्ञान केंद्र पर गुरुवार को एक दिवसीय विशाल किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। किसान मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि डॉ आनंद कुमार सिंह कुलपति द्वारा फीता काटकर किया।

मेले में 20 से अधिक कृषि तकनीकी आधारित लगाई गई प्रदर्शनी के विभिन्न स्टालों का अवलोकन किया। उन्होंने कृषि प्रदर्शनी में लगाई गई सामग्रियों के बारे में जानकारी ली। तत्पश्चात मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन करके मेले का शुभारंभ किया गया।

इस अवसर पर केंद्र की प्रभारी अधिकारी डॉक्टर साधना वैश द्वारा स्वागत भाषण व केंद्र की विभिन्न उपलब्धियां पर प्रकाश डाला। निदेशक प्रसार डॉक्टर आरके यादव ने संतुलित खेती पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारी मृदा में जैव कार्बन की मात्रा बहुत कम हो चुकी है इसको सुधारना अति आवश्यक है। निदेशक शोध डॉ पीके सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा निर्गत सब्जी की प्रजातियों को संरक्षित खेती द्वारा प्याज शिमला मिर्च आदि की खेती कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है।

उन्होंने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय जनपद की कृषि पद्धति के अनुसार नवीन प्रजातियां निकल रहा है। निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डॉ विजय कुमार यादव ने बताया कि बीजों का उत्पादन एक समूह बनाकर किया जाए जिससे बीजो में किसान स्वावलंबी बन सके। अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉक्टर सी एल मौर्य ने कहा मृदा स्वास्थ्य हेतु गोबर की खाद, हरी खाद आदि का उपयोग करते हुए सुरक्षित एवं स्वस्थ उत्पादन लिया जा सकता है। अंत में कृषि विज्ञान केन्द्र पर स्थापित इकाइयो, सीड हब, क्राप कैफेटेरिया, प्रक्षेत्र का भ्रमण किया। मेला का संचालन डॉ. जितेन्द्र सिंह ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय पाण्डेय ने किया। मेला के सफल आयोजन में केन्द्र के डॉ जगदीश किशोर, विवेक दुबे, घनश्याम, वसीम खान, शैलेंद्र बाजपाई उपस्थित रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/राम बहादुर/मोहित

   

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