स्वामी निश्चलानंद, स्वामी सदानंद और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अनर्गल बयानबाजी कर रहे: महंत मदन मोहन

हरिद्वार, 12 जनवरी (हि.स.)। श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के वरिष्ठ संत महंत मदन मोहन गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी निश्चलानंद तीर्थ, स्वामी सदानंद व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अनर्गल बयानबाजी कर समाज को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तीनों ये बताएं कि उनका पट्टाभिषेक किसने किया। वे कैसे शंकराचार्य बने और कैसे शंकराचार्य पद नाम का उपयोग कर रहे हैं।

मदन मोहन गिरि महाराज ने शुक्रवार को कहा कि स्वामी निश्चलानंद जो स्वयं को शंकराचार्य कहते हैं वह गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य निरंजन देव तीर्थ महराज के मुनीम हुआ करते थे। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद ये स्वयंभू शंकराचार्य बन बैठे। वहीं स्वामी सदानंद व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भी स्वयंभू शंकराचार्य बने घूम रहे हैं। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य का पद सनातन में सर्वोच्च पद है। यह पद किसी वसीयत का नहीं है। यह योग्यता का पद है।

उन्होंने कहा कि ये वह लोग हैं जो स्वयं को शैव का उपासक बताते हैं, किन्तु राम के काज को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि श्री राम सबके हैं और सभी को इस कार्य में सहयोग करते हुए उत्साह मनाना चाहिए, क्योंकि पांच सौ वर्षों के लम्बे संघर्ष के बाद हम सबको यह देखने को मिल रहा है। हमें इस बात पर गर्व की अनुभूति करनी चाहिए कि इस पल के हम साक्षी बनने जा रहे हैं जब श्री रामलला अपने मंदिर में विराजमान होने वाले हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/वीरेन्द्र

   

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