नार्वे के साहित्यकार 'शरद आलोक' बोले- विदेशों में उज्जवल है हिंदी का भविष्य 

- नार्वे के प्रवासी साहित्यकार सुरेश चंद्र व कनाडा से आए विद्वान डॉ. सत्येंद्र का सम्मान

देहरादून, 26 अक्टूबर (हि.स.)। नार्वे के प्रवासी साहित्यकार सुरेश चंद्र शुक्ल 'शरद आलोक' के सम्मान में इंदर रोड पर एक सभागार में शनिवार को नवोदित प्रवाह की ओर से गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के प्रसिद्ध गीतकार डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र, पूर्व कुलपति डॉ. सुधा पांडेय और रजनीश त्रिवेदी ने शॉल ओढ़ाकर 'शरद आलोक' व कनाडा से पधारे विद्वान डॉ. सत्येंद्र कुमार सेठी को भी सम्मानित किया।

इस अवसर पर प्रवासी साहित्यकार सुरेश चंद्र शुक्ल ने कहा कि हिंदी हमारी अस्मिता की पहचान है। नार्वे में ओस्लो स्कूलों में हिंदी अंतरराष्ट्रीय भाषा के रुप में स्वीकृत है। हाईस्कूल और सीनियर सेकेंडरी में विद्यार्थी हिंदी में परीक्षा दे सकते हैं। विदेशों में हिंदी का भविष्य उज्जवल है। कनाडा से पधारे विद्वान डॉ. सत्येंद्र कुमार सेठी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. सुधा पांडेय ने 'शरद आलोक' के कृतित्व पर प्रकाश डाला।

गीतकार डा. बुद्धिनाथ मिश्र, डॉली डबराल, डॉ. राम विनय सिंह, राम प्रताप साकेती, दर्द गढ़वाली, शिव मोहन सिंह, चंदन सिंह नेगी ने अपने सुमधुर गीतों और कविताओं से कार्यक्रम में चार चांद लगाए। कार्यक्रम का संचालन रजनीश त्रिवेदी ने किया। गोष्ठी में रश्मि आलोक, कुमुद त्रिवेदी, सुनील त्रिशु आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / कमलेश्वर शरण

   

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