भावों को प्रकट करने के लिए शब्द नहीं है : प्रो. रीता बहुगुणा जोशी

प्रयागराज, 22 जनवरी (हि.स.)। सांसद प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी ने मुट्ठीगंज के श्रीराम जानकी मंदिर में एलईडी स्क्रीन पर भगवान श्रीराम जी के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ अवसर पर सजीव प्रसारण देखा। सांसद ने कहा कि 500 साल बाद मन भावुक हुआ है। भावों को प्रकट करने के लिए शब्द नहीं है। आज के दिन पूरा राष्ट्र राममय हो चुका है और इस दिन की प्रतीक्षा में 5 सदी बीत गई।

उन्होंने कहा कि रामलला की अलौकिक छवि है। मंदिर वहीं बना, जहां संकल्प लिया गया था। आज के दिन शुभ मुहूर्त पर प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। सांसद ने कहा कि क्या आप सब ने कभी सोचा है कि आखिर प्राण प्रतिष्ठा होती क्या है। उन्होंने कहा कि दरअसल वैदिक धर्म में मंदिरों में मूर्तियों को स्थापित करने के कुछ खास नियम हैं। उसके मुताबिक बिना प्राण प्रतिष्ठा के मंदिर में मूर्ति स्थापित नहीं की जाती है। इस पूजा के दौरान भगवान का आह्वान किया जाता है ताकि वो मूर्ति में विराजित हों। इस दौरान बहुत सारे मंत्रोच्चारण का उद्घोष होता है और इसके बाद मूर्ति की आंखें खोली जाती हैं और वो भगवान के रूप में पूजी जाती हैं। प्राण शब्द का अर्थ जीवन और प्रतिष्ठा का अर्थ स्थापना यानी कि प्राण प्रतिष्ठा का मतलब हुआ ’जीवन की स्थापना’, यानि एक प्रतिमा को जीवित करना। यह एक बहुत ही असाधारण कार्य है और कहा जाता है कि वो लोग बहुत किस्मत वाले होते हैं, जिन्हें इस पूजा में शामिल होने का मौका मिलता है।

प्राण प्रतिष्ठा के मंत्रों और पूजा के दौरान इंसान उस मूर्ति में ईश्वर को देखने लगता है। उसका विश्वास उसे मूर्ति के समक्ष ले जाता है और वो उससे हर बात निःसंकोच कहने लगता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विधायक वाचस्पति, पार्षद किरण जायसवाल, पदुम जायसवाल, शंकर लाल निषाद, प्रमोद मोदी, सतीश केसरवानी, संत प्रसाद पांडेय, सांसद प्रतिनिधि राजेश त्रिपाठी, अभिषेक शुक्ला, प्रमोद जायसवाल, समेत सैकड़ों स्थानीय लोगों के साथ भारी संख्या में भाजपा कार्यकर्तागण मौजूद रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/आकाश

   

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