राज्यपाल ने बाबूलाल कटारा को किया निलंबित, एसओजी ने पिछले साल अप्रैल में पेपर लीक प्रकरण में किया था गिरफ्तार

जयपुर, 26 जनवरी (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 के उपबंध (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कदाचार के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय को निर्देश (रेफरेंस) किए जाने पर तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। पेपर लीक मामले की जांच के लिए गठित एसओजी ने 18 अप्रैल को आरपीएससी सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार किया था। आयोग के इतिहास में पहली बार कोई सदस्य गिरफ्तार हुआ है।

राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों को गंभीर मामलों से संबंधित रिपोर्ट राज्यपाल को भेजनी होती है। राजभवन अपने स्तर संविधान सम्मत कार्रवाई करते हुए संबंधित सदस्य को निलंबित करने की फाइल राष्ट्रपति को भेजनी पड़ती है। राष्ट्रपति की अनुशंसा के बाद संबंधित सदस्य को राज्यपाल उसके पद से बर्खास्त कर देता है।

बाबूलाल कटारा डूंगरपुर जिले के भाटपुर ग्राम पंचायत के मालपुर गांव का निवासी है। दो नवंबर 1987 को वह तृतीय श्रेणी शिक्षक बना था। करीब दो साल बाद 1990 में वह अर्थशास्त्र के व्याख्याता बन गया था। अगले ही साल 1991 में बाबूलाल कटारा जिला सांख्यिकी अधिकारी बन गया था। इस दौरान उदयपुर संभाग में विभिन्न जगह पर कटारा ने सेवाएं दी। वर्ष 1994 से लेकर 2005 तक विकास अधिकारी के रूप में काम किया। फिर संयुक्त निदेशक सांख्यिकी सचिवालय में सेवाएं दी। वर्ष 2013 से वीआरएस लेने तक उदयपुर के माणिक्यलाल वर्मा आदिम जाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान में निदेशक का पद संभाला। अक्टूबर 2020 में गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनने के लिए की सिफारिश की थी। राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने कटारा को आरपीएससी के सदस्य के रूप में नियुक्ति प्रदान की। इस नियुक्ति के पीछे गहलोत सरकार को अनुसूचित जनजाति वर्ग को खुश करना था।

वर्ष 2020 में डूंगरपुर क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति और आदिवासी समुदाय के लोगों ने बड़ा आंदोलन किया था। डूंगरपुर-बांसवाड़ा में अनुसूचित जनजाति के हजारों लोगों ने शिक्षक भर्ती 2018 में सामान्य श्रेणी के 1167 पदों पर अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को नियुक्त देने की मांग की थी। उस आंदोलन के दौरान भारी हिंसा हुई, जिसमें कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। हिंसा के दौरान दो लोगों की मौत भी हुई। उन दिनों अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को खुश करने के लिए गहलोत सरकार ने बाबूलाल कटारा की नियुक्ति आरपीएससी सदस्य के रूप में करने की सिफारिश की थी। दिसंबर 2022 में जब वरिष्ठ अध्यापक पेपर लीक प्रकरण सामने आया तो इस मामले की जांच उदयपुर पुलिस के साथ एसओजी को सौंपी गई। एसओजी कड़ी से कड़ी जोड़ते हुई पेपर लीक माफियाओं को गिरफ्तार कर रही थी। पिछले दिनों सरकारी स्कूल का एक वाइस प्रिंसिपल शेर सिंह मीणा एसओजी की गिरफ्त में आया। शेरसिंह से हुई पूछताछ में यह पता चला कि उसे यह पेपर आरपीएससी के सदस्य बाबूलाल कटारा ने दिया था। इसके बाद एसओजी ने बाबूलाल कटारा, उसके ड्राइवर गोपाल सिंह और भानजे विजय डामोर को पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार किया था।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

   

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