सरसों फसल में चेपा, माहू, काला तेला या एफिड का प्रकोप की आशंका

बीकानेर, 3 फ़रवरी (हि.स.)। सरसों फसल में चेपा, माहु, एफिड के प्रकोप से रोकथाम के लिए कृषि विभाग की तकनीकी टीम द्वारा पम्पालसर, पेमासर एवं बम्बलू के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण कार्य किया गया। किसानों को कीट व्याधि पहचान, सर्वे व रोकथाम के आवश्यक उपायों के बारे में जानकारी दी गई। मौसम में उतार चढाव व कम तापमान, अधिक वातावरणीय नमी की अनुकूलता के कारण सरसों फसल में चेपा, माहू, काला तेला (एफिड) के प्रकोप की सम्भावना के मद्देनजर कृषि विभाग द्वारा सर्वेक्षण के माध्यम से एफिड के रोकथाम के उपचार बताएं गए।

कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कैलाश चौधरी ने बताया कि फरवरी माह में सरसों में चेपा के प्रकोप की सम्भावना अधिक रहती है। यह पीले-हरे रंग का कीट पौधे की पत्ती, फूल, तना एवं फलियों का रस चूसकर पौधे को कमजोर करता है। इस कीट का प्रसार तेजी से होने के कारण फलियां कम लगती है। दाने भी छोटे रह जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह खेत के बाहरी पौधों पर पहले आता है। यह कीट सरसों तने की ऊपरी शाखा के 10 सेंटीमीटर में लगभग 25 चेपा मिलने पर आर्थिक हानिस्तर श्रेणी में है। कृषि विभाग द्वारा जिलें में सरसों फसल पर चेपा का प्रकोप कम पाया गया है।

कृषि अधिकारी मुकेश गहलोत ने बताया कि उपचार के लिए नीमयुक्त कीटनाशी छिड़काव करना प्रभावी साबित होता है। ईटीएल स्तर से अधिक आक्रमण होने पर किसानों द्वारा डाइमथोएट 30 प्रतिशत ईसी या मिथायल डेमोटॉन 25 प्रतिशत ईसी की एक एमएल प्रति लीटर पानी या एक लीटर दवा प्रति हैक्टेयर 400-500 लीटर पानी की मात्रा में घोल बनाकर छिड़काव कर नियंत्रण कर सकते हैं।

तकनीकी टीम में कृषि विभाग अधिकारी अमर सिंह गिल, भैराराम गोदारा व मुकेश गहलोत सहित स्थानीय कृषि अधिकारी रमेश भाम्भू व महावीर गोदारा शामिल रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

   

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