बिहार की छह राज्यसभा सीटों के लिए नामांकन शुरु, कांग्रेस की बढ़ेगी मुश्किल

पटना, 08 फरवरी (हि.स.)। बिहार से रिक्त हो रही राज्य सभा की छह सीटों के लिए नामांकन प्रक्रिया गुरुवार को शुरू हो गई। राजद के मनोज कुमार झा और अहमद अशफाक करीम, जदयू के अनिल प्रसाद हेगड़े और वशिष्ठ नारायण सिंह, भाजपा के सुशील कुमार मोदी और कांग्रेस सदस्य अखिलेश प्रसाद सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है। अंक गणित के हिसाब से देखे तो कांग्रेस से अखिलेश प्रसाद सिंह का गणित इसमें बिगाड़ता नजर आ रहा है।

इन सांसदों की रिक्त हो रही इन्हीं छह सीटों के लिए चुनाव होंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 15 फरवरी है। नामांकन पत्रों की जांच 16 फरवरी और नाम वापसी की तारीख 20 फरवरी तक है।27 फरवरी को चुनाव होगा और उसी दिन शाम में 5:00 बजे काउंटिंग भी होगी।

राज्यसभा का चुनाव जीतने के लिए कम से कम 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। ऐसे में विधान सभा में दलीय स्थिति देखें तो कुल 243 सीटें हैं। इसमें राजद के सर्वाधिक 79 विधायक हैं। वहीं भाजपा के 78, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, वामदलों के 16 (भाकपा माले 12, भाकपा 2 और माकपा 2 ) हम के 4 जबकि एक निर्दलीय विधायक हैं। एक विधायक एआईएमआईएम का है। विधायकों का आंकड़ा देखें तो राजग के पास सबसे ज्यादा विधायक हैं। इससे भाजपा को इस बार 2 सीटों पर जीत मिलनी तय है। वहीं 45 विधायक होने के नाते जदयू को एक सीट का नुकसान होना तय है।

दूसरी ओर राजद के 78 विधायक हैं जिस कारण पार्टी के दो राज्य सभा सांसद फिर से जीत जाएंगे।. कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी दुविधा वाली स्थिति है। कांग्रेस के अपने विधायकों की संख्या 19 है। वहीं राजद के दो सांसद जीतते हैं तो 74 विधायकों का समर्थन उनको जाएग, जबकि 4 विधायकों के वोट शेष रहेंगे। इससे कांग्रेस के उम्मीदवार को 23 विधायकों का समर्थन मिल जाएगा लेकिन जीत के लिए 37 के समर्थन से यह 14 कम है। इस स्थिति में पूरा खेल वामदलों पर निर्भर करता है जिसके 16 विधायक हैं। लेकिन यही कांग्रेस की परेशानी है। अपने बलबूते चुनाव जीतना कांग्रेस के लिए संभव नहीं है। इसलिए पार्टी को राजद और वामदलों के समर्थन की जरूरत है।

सूत्रों का कहना है कि इसी का फायदा राजद और वामदलों द्वारा उठाया जा सकता है। वामदलों के नेताओ की माने तो पार्टी चाहती है कि उसके किसी उम्मीदवार को राज्य सभा भेजा जाए और इसके लिए कांग्रेस और राजद मदद करे। इसके पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि वामदलों को आगामी लोकसभा चुनाव में सीमित सीटों पर चुनाव लड़ाने की कांग्रेस और राजद की योजना है। इस स्थिति में वामदल फ़िलहाल एक राज्य सभा की सीट चाहते हैं।. इससे कांग्रेस को अपनी एक जीती हुई सीट छोड़ने की मजबूरी होगी।

कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी हर हालत में बिहार से फिर से राज्य सभा की एक सीट वापस चाहती है। इसके लिए पिछले दिनों राजद सुप्रीमो लालू यादव से भी कांग्रेस को आश्वासन मिला था। पार्टी राज्यसभा में अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना चाहती है। ऐसे में इस बार देश में जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं उसमें 10 राज्य सभा की सीटों पर कांग्रेस जीत हासिल करना चाहती है। इसमें कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र से एक, तेलंगाना से दो और कर्नाटक से तीन सीटें मिलेंगी। पार्टी बिहार में अगर वामदलों की ओर से कोई बड़ी शर्त रखी जाती है तो उस स्थिति में लोकसभा चुनाव में एकाध सीटें वामदलों को देकर राज्य सभा की एक सीट पर जीत तय करना चाहेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/गोविन्द

/चंदा

   

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