जयपुर विकास प्राधिकरण: एसटीपी और सीईटीपी की हो रही ऑनलाइन मॉनिटरिंग

जयपुर, 10 फ़रवरी (हि.स.)। शहर में प्रदूषित पानी को ट्रीटेट करने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इंफ्लुएंट कॉमन ट्रीटमेंट प्लांट की अब ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जा रही है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियत्रंण मंडल के निर्देश पर जेडीए ने शहर में चल रहे एसटीपी और सीईपीटी पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग डिवाइस लगाई है। इस पर करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए है। डिवाइस लगने के बाद एसटीपी और सीईटीपी सीधे राजस्थान राज्य प्रदूषण नियत्रंण मंडल और केंद्रीय प्रदूषण नियत्रंण मंडल से जुड़ गए हैं। इसके बाद दोनों मंडलों के अधिकारी कार्यालयों से जेडीए के सभी एसटीपी और सीईटीपी की जानकारी ले पा रहे हैं।

- आठ एसटीपी और एक सीईटीपी राजधानी में

जेडीए के अधीन आठ एसटीपी और एक सीईटीपी है। अब तक इसकी मॉनिटरिंग के लिए प्रदूषण नियत्रंण मंडल के अधिकारियों को मौके पर जाना पड़ता था। इससे आर्थिक के साथ समय भी बर्बाद होता था। शहर में द्रव्यवती नदी सहित अलग-अलग स्थानों पर एसटीपी और इमली फाटक के पास सीईटीपी बना हुआ है। इनके माध्यम से प्रदूषित पानी को साफ कर सीधे नदी और नालों में छोड़ा जाता है। इन सभी एसटीपी और सीईपीटी की देखभाल सहित अन्य खर्चो के रुपये में जेडीए हर साल लाखों रुपए खर्च करता है।

निगम और रीको के भी चलते है एसटीपी और सीईटीपी

शहर में जेडीए के अलावा नगर निगम और रीको द्वारा भी एसटीपी और सीईटीपी का संचालन किया जाता है। नगर निगम द्वारा देहलावास एसटीपी को अपग्रेड करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा सीतापुरा सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाले प्रदूषित जल को साफ करने के लिए एसटीपी और सीईटीपी संचालित किए जा रहे है। इन सभी की निगरानी राजस्थान राज्य प्रदूषण नियत्रंण मंडल करता है। एसटीपी और सीईटीपी संचालन में लापरवाही और गंदा पानी बाहर छोडऩे पर प्रदूषण नियत्रंण मंडल कार्रवाई करते है।

इस संबंध में एक्सईएन, पीएचई जेडीए मुकेश मीणा का कहना है कि शहर में जेडीए के अधीन 8 एसटीपी और एक सीईटीपी संचालित होते है। अब तक इनकी ऑनलाइन मॉनिटरिंग नहीं हो रही थी। प्रदूषण नियत्रंण मंडल के निर्देश पर सभी एसटीपी और सीईटीपी पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग डिवाइस लगाए जा रहे है। अभी कुछ एसटीपी और सीईटीपी पर ऑनलाइन मॉनिटरिंग डिवाइस लगाई जा चुकी है। सभी एसटीपी और सीईटीपी पर डिवाइस लगाने का काम अगले वर्ष तक पूरा हो सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

   

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