कलकत्ता के बुद्धिजीवी बेशर्म, बिके हुए : समीर आइच

कलकत्ता,13 फरवरी(हि. स.): उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में महिलाओं पर अत्याचार को लेकर पूरा इलाका मुखर है। हालांकि विभिन्न मुद्दों पर अकट सड़कों पर उतरने वाले कोलकाता के बुद्धिजीवी इस मामले को लेकर अभी तक खामोश नजर आ रहे हैं, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। वामपंथी शासनकाल में विभिन्न मुद्दों पर कई बार सड़कों पर नजर आ चुके प्रख्यात चित्रकार समीर आइच ने बुद्धिजीवियों की खामोशी पर सवाल खड़ किए हैं। इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ''''सिर्फ सड़क पर उतरने की ही नहीं, बल्कि इसके लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। लेकिन मुझे यह कहते हुए अफसोस हो रहा है कि कलकत्ता के बुद्धिजीवी इतने बेशर्म हो गए हैं, कि अपने निजी हितों के लिए सत्ताधारी पार्टी के हाथों बिक गए हैं। इन्होंने हमारे आंदोलन की धार को बर्बाद कर दिया है। बुद्धिजीवियों की जो टीम सड़क पर उतरती थी, सत्ता पक्ष ने उसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।''''

समीर आइच ने संदेशखाली घटना की कड़ी निंदा करते हुए सीधे तौर पर पुलिस की भूमिका की आलोचना की। उनके शब्दों में, ''संदेशखाली में जो हो रहा है, वह अकल्पनीय है। मेरा मुख्यमंत्री से एक ही सवाल है कि पुलिस प्रशासन किसके पैसों से चलता है? क्या यह पार्टी के पैसे से चलता है? या किसी के निजी पैसे से चलता है? आपकी पार्टी में जो लोग उत्पात कर रहे हैं उनको बचाने की जिम्मेदारी पुलिस ने ले ली है और जो वाकई पीड़ित हैं, उन्हें मुंह खोलते ही पकड़कर जेल में डाल दिया जा रहा है। ये कितने दिन चलेगा? हममें से कोई भी यह बदलाव नहीं चाहता।

उल्लेखनीय है कि संदेशखाली में महिलाओं पर हुए अत्याचार के खिलाफ इलाके की महिलाएं खुद सड़कों पर उतर आईं हैं। महिलाओं ने मीडिया के सामने खुलकर अपना दर्द बयान किया और बताया कि उन्हें कितनी क्रूर यातनाएं सहनी पड़ीं। महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से इस तरह के गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद कई दिन बीत चुके हैं लेकिन संदेशखाली की घटना के खिलाफ अब तक बुद्धिजीवियों का कोई एकजुट विरोध देखने को नहीं मिला है।

हिन्दुस्थान समाचार/धनंजय

   

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