बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव, सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में तिलक की सामग्री अर्पित

बाबा विश्वनाथ का तिलकोत्सव,पंचवदन रजत प्रतिमा: फोटो बच्चा गुप्ता

-शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरूओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली

वाराणसी, 14 फरवरी(हि.स.)। माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी बसंत पंचमी पर्व पर बुधवार को परम्परागत रूप से काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के तिलकोत्सव की रस्म निभाई गई। बाबा के तिलकोत्सव से वैवाहिक मंगल उत्सव की शुरुआत काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व मंहत डॉ. कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर हुई। सुबह से ही महंत आवास में मांगलिक गीत गूंजता रहा।

तीन सौ साल से भी अधिक पुरानी परम्परा में महंत आवास में दोपहर बाद बाबा के पंचवदन रजत प्रतिमा को पंचामृत स्नान कराकर मखमली वस्त्र धारण कराया गया। मंगल अनुष्ठान वस्त्राभूषण से श्रृंगार झांकी सजाई गई। इसके बाद काशीपुराधिपति को उनके प्रिय विजया युक्त ठंडई के साथ पंचमेवा व फल-मिष्ठान का भोग लगाकर महंत कुलपति तिवारी ने आरती उतारी। मान्यता है कि बसंत पंचमी पर ही राजा दक्ष ने महादेव का तिलक चढ़ाया था। तिलकोत्सव में सप्तर्षियों के प्रतीक सात थालों में बाबा को तिलक की सामग्री अर्पित की गई। तड़के भोर में मंगला आरती से शुरू हुए अनुष्ठान का क्रम रात्रि में तिलकोत्सव के उपरांत मंगल गीतों के गायन तक चला। शाम सात बजे जालान परिवार की अगुआई में तिलक की रस्म पूरी की गई। शहनाई की मंगल ध्वनि और डमरूओं के निनाद के बीच तिलकोत्सव की बधइया यात्रा निकली। सात थाल में तिलक की सामग्री लेकर जालान परिवार इस शोभायात्रा का हिस्सा बने। इन थालों में वर महादेव के लिए वस्त्र, सोने की चेन, सोने की गिन्नी, चांदी के नारियल सजा कर रखे गए थे। लोकाचार के अनुसार दूल्हे के लिए घड़ी और कलम के सेट भी एक थाल में सजा कर रखे गए थे। शिवभक्तों की भीड़ के साथ दशाश्वमेध मुख्य मार्ग से टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास तक तिलकोत्सव शोभायात्रा पहुंची। यहां पहुंचने पर महंत परिवार ने उनकी अगुआनी की।

कन्या पक्ष की ओर से जालान परिवार के सदस्यों ने तिलकोत्सव की रस्म पूरी की। पूजन का विधान संजीवरत्न मिश्र ने संपादित किया। इस दौरान पं. वाचस्पति तिवारी ने सपत्नीक रुद्राभिषेक किया। तिलकोत्सव के उपरांत सांस्कृतिक कार्यक्रम में महिलाओं की मंडली ने पारंपरिक गीत गाए। इससे पूर्व भोर में 04:00 से 04:30 बजे तक बाबा विश्वनाथ की पंचबदन रजत मूर्ति की मंगला आरती उतारी गई। 06:00 से 08:00 बजे तक ब्राह्मणों द्वारा चारों वेदों की ऋचाओं के पाठ के साथ बाबा का दुग्धाभिषेक किया गया। सुबह 8:15 बजे से बाबा को फलाहार का भोग अर्पित किया गया उसके उपरांत पांच वैदिक ब्राह्मणों ने पांच प्रकार के फलों के रस से 8:30 से 11:30 बजे तक रुद्राभिषेक,पूर्वाह्न 11:45 बजे पुन: बाबा को स्नान कराया गया। 12:00 से 12:30 बजे तक मध्याह्न भोग एवं आरती की गई। 12:45 से 02:30 बजे तक महिलाओं द्वारा मंगल गीत गाए गए। 02:30 से 04:45 बजे तक शृंगार के लिए कक्ष के पट बंद कर दिए गए। इस बीच वाचस्पति तिवारी एवं संजीव रत्न मिश्र ने बाबा का दूल्हा के रूप में शृंगार किया। 04:45 से 05:00 बजे तक संध्या आरती एवं भोग के बाद सायं पांच बजे से भक्तों के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। शिवभक्त महादेव के इस दुल्हा स्वरूप विग्रह को दख आह्लादित हो गए।

गौरतलब हो कि काशी पुराधिपति के तिलकोत्सव के मंगल उत्सव के बाद महाशिवरात्रि पर चराचर जगत के स्वामी का आदिशक्ति के साथ मिलन होगा। इस घड़ी का साक्षी बनने के लिए पूरे शहर से शिव बारात निकलेगी। पूरी रात बाबा विश्वनाथ के स्वर्णिम दरबार में वैवाहिक मंगल उत्सव मनाया जाएगा। रंगभरी एकादशी को बाबा विश्वनाथ के गौना की रस्म महंत आवास पर निभाई जायेगी। रंगभरी एकादशी पर बाबा के गौना उत्सव में शिव परिवार के विग्रह का रजत पालकी पर दर्शन शिवभक्तों को मिलेगा। गौना उत्सव में शामिल काशीवासी काशीपुराधिपति के भाल पर अबीर-गुलाल अर्पित कर उनसे होली खेलने की प्रतीक रूप से अनुमति लेंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप

   

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