मिशन अमृत सरोवर का उद्देश्य जल संरक्षण सुनिश्चित करना

गुवाहाटी, 17 फरवरी (हि.स.)। भारत सरकार ने 24 अप्रैल, 2022 को पूरे देश में आजादी के 75वें वर्ष में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के एक भाग के रूप में मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत की। इस मिशन के तहत जल संरक्षण के उद्देश्य से देश भर के प्रत्येक जिले में 75 जल निकायों को विकसित और पुनर्जीवित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।

एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए इस नेक काम को आगे बढ़ाते हुए, असम सरकार ने हाल ही में पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के तहत मिशन अमृत सरोवर (असम मॉडल) के तहत निर्मित सरोवरों के प्रबंधन और रखरखाव के लिए जिम्मेदारियों के असाइनमेंट को अधिसूचित किया है।

उल्लेखनीय है कि असम मॉडल के तहत, अमृत सरोवर जो सरकारी स्कूलों आदि शैक्षणिक संस्थानों की भूमि, नामघर जैसे धार्मिक संस्थानों और सरकार द्वारा पंजीकृत सहकारी समितियों या चाय बागान क्षेत्रों में बनाए गए हैं। उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में सरोवरों के रखरखाव का दायित्व सौंपा गया है। इसी प्रकार, वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अमृत सरोवरों का स्वामित्व स्वतः ही मान लिया जाएगा और जहां भी अधिसूचित वन ग्राम मौजूद हैं, वहां के वन ग्रामों के निवासियों को प्रबंधन का अधिकार दिया जाएगा।

ऊपर उल्लिखित श्रेणियों के अलावा, व्यावसायिक चरागाह आरक्षित भूमि (पीजीआर) और ग्राम चरागाह आरक्षित भूमि (वीआरजी) सहित संस्थागत भूमि के अलावा सरकारी भूमि पर अमृत सरोवर, गांव पंचायतों / समकक्ष स्थानीय स्तर के निकायों तथा छठी अनुसूचित क्षेत्रों में स्वायत्त परिषदों के स्वामित्व में होंगे। ये अधिसूचित निकाय असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एएसआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) को सरोवर सौंप देंगे।

अमृत सरोवरों के असम मॉडल का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू के तहत सीएलएफ अपने संबंधित क्षेत्रों के तहत सरोवरों में मछली पालन की गतिविधियां भी शुरू करेंगे। छठी अनुसूचित क्षेत्रों में गांव पंचायत या स्वायत्त परिषदों के समकक्ष स्थानीय स्तर के निकायों द्वारा राजस्व का स्रोत (ओएसआर) और अपने शुद्ध वार्षिक लाभ का 1/4 हिस्सा संबंधित स्थानीय स्तर के निकायों के साथ साझा करेंगे, जिसे स्वयं का माना जाएगा।

हिन्दुस्थान समाचार /श्रीप्रकाश/अरविंद

   

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