जेल की सलाखों के पीछे मोबाइल की फैक्ट्री !

जयपुर, 19 फ़रवरी (हि.स.)। । प्रदेश की जेले मोबाइल की दुकान बन चुकी है। यह बात हम नहीं कह रहे , बल्कि जेल के आंकड़े इस बात को साबित कर रहे हैं। पिछले तीन साल में तलाशी के दौरान जेलों में 753 मोबाइल फोन मिले हैं । गौरतलब है कि पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को जयपुर सेंट्रल जेल से जान से मारने की धमकी मिली। इसके बाद पुलिस के साथ जेल प्रशासन के होश फाख्ता हो गए थे। आनन फानन में कार्रवाई कर आरोपित को पकड़ कर उसके सहयोगियों की पहचान कर उन्हें सजा दिलाई गई, लेकिन इस सब के बीच सवाल यह उठता है कि त्रिस्तरीय सुरक्षा के बाद भी जेल में मोबाइल कैसे पहुंच रहे और वहां पर कैसे काम कर रहे है। इस घटना के बाद चार बंदियों को गिरफ्तार किया गया और उसके अलावा तीन जेल कार्मिकों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। इनमें जयपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक ओमप्रकाश भी शामिल है। अब जेल प्रशासन इस मामले में नए सिरे से योजना बनाने में जुट गया है।

जेल के प्राप्त आंकड़ों के अनुसार साल 2020 में 257 फोन प्रदेश की जेल में मिले थे। साल 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 277 हो गई। साल 2022 में जेल में कुछ सख्ती दिखाई तो संख्या करीब 220 रह गई। इसके अलावा 3 साल के दौरान प्रदेश के जेलों में 418 मोबाइल फोन की सिम भी बरामद की गई है । इन मोबाइल और सिम के अलावा 166 मोबाइल फोन चार्जर भी बरामद किए गए हैं। इनमें कीपैड फोन से लेकर आईफोन जैसे फोन के चार्जर भी शामिल है।

प्रदेश की जेलों में हर साल पुलिस प्रशासन और न्यायिक अधिकारी भी जांच पड़ताल और सर्च करने के लिए आते हैं। यह सर्च जेल प्रहरियों के अलावा होती है । तीन साल के दौरान यानी साल 2020 से लेकर साल 2022 तक के दौरान राजस्थान की जेल में हजारों बार सर्च की गई है। यह पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के अलावा न्यायिक सेवा के अधिकारियों द्वारा की गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सबसे ज्यादा सर्च जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, भरतपुर, अलवर जैसी सेंट्रल जेलों में किया गया है। ।

3 साल में 400 से ज्यादा एफआईआर

प्रदेश की जेलों में मोबाइल फोन या अन्य प्रतिबंधित सामान का उपयोग करने के कारण बंदियों और उनके साथ देने वाले जेल कार्मिकों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज किए जा रहे हैं । बड़ी बात यह है कि इनकी संख्या हर साल तेजी से बढ़ रही है । कोरोना काल यानी साल 2020 में 128 एफआईआर दर्ज कराई गई। उसके बाद साल 2021 में 150 एफआईआर दर्ज की गई और साल 2022 में 162 एफआईआर दर्ज की गई है ।

कैदियों की सुविधा के लिए जेल में एसटीडी बूथ सुविधा

प्रदेश की बड़ी जेलों में कैदियों की सुविधा के लिए एसटीडी बूथ लगाए गए है ताकि वे अपने परिजनों और रिश्तेदार से बात कर सके। लेकिन इन सुविधाओं के बाद भी जेलों में लगातार मोबाइल फोन मिल रहे है। एसटीडी बूथ सुविधा में बंदी अपने किसी दो रिश्तेदारों से हर हफ्ते करीब 30 से 45 मिनट तक फोन पर बात कर सकता है। यह सब कुछ जेल प्रशासन की आंखों के सामने होता है । जेल प्रशासन के कार्मिक ही बंदी को उसके रिश्तेदार से फोन पर बात कराते हैं। लेकिन उसके बावजूद भी राजस्थान की जेल में मोबाइल फोन थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। जेल से गैंग्स ऑपरेट हो रही है, रंगदारी मांगी जा रही है और बड़े अपराध भी सुनियोजित तरीकों से जेल में ही प्लान किया जा रहे हैं । प्रदेश की सभी सेंट्रल जेल, जिला जेल में एसटीडी बूथ की सुविधा उपलब्ध है। राजस्थान में नौ सेंट्रल जेल है । इनमें जयपुर, जोधपुर , उदयपुर , बीकानेर , अजमेर , कोटा, भरतपुर , गंगानगर और अलवर शामिल है। इसके अलावा जयपुर , जोधपुर , उदयपुर , भरतपुर , कोटा, बीकानेर, अजमेर में महिला जेल भी है। राजस्थान में धौलपुर , टोंक, बांसवाड़ा , बाड़मेर, भीलवाड़ा , बूंदी, दौसा, जयपुर समेत 24 जिला जेल भी है। इनके अलावा 60 सब जेल है।

इस संबंध में आईजी कारागार विक्रम सिंह का कहना है कि जेलों में मोबाइल पर रोकथाम के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे है। जेल में भेजा जाने वाला सामान की त्रिस्तरीय जांच होती है, लेकिन मोबाइल कहां से और कैसे अंदर पहुंच रहे है यह जांच का विषय है। मोबाइल रोकथाम के लिए तलाशी अभियान तेज करने के साथ सुरक्षा उपकरण बढ़ाए गए है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

   

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