प्रियंका गांधी जालोर आईं थीं, सचिन आते तो सब वेलकम करते पर बेवकूफी भरा बयान दिया : गहलोत

जयपुर, 14 मई (हि.स.)। लोकसभा चुनावों के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत की सीट (जालोर-सिराही) पर प्रचार करने नहीं जाने के मुद्दे पर अब खींचतान शुरू हो गई है। सचिन पायलट ने कहा था कि उन्हें जालोर प्रचार के लिए बुलाया नहीं। अब अशोक गहलोत ने पायलट के बयान को बेवकूफी से जोड़ते हुए हमला बोला है। अमेठी, उत्तरप्रदेश में एक इंटरव्यू के दौरान गहलोत ने कहा कि यह अनावश्यक मुद्दा बनता है या कई बार बनाया जाता है। चुनाव के वक्त किसी को ऐसे कमेंट नहीं करने चाहिए। ऐसी बेवकूफी भी नहीं करनी चाहिए कि मुझे बुलाया नहीं गया। मैं गया नहीं। इसका ऐसा कोई मतलब नहीं होता है। वो बयान भी नहीं देना चाहिए था। उस बयान की जरूरत नहीं थी।

गहलोत ने कहा कि प्रियंका गांधी वहां (जालोर-सिरोही) पर आई थीं। सचिन पायलट साथ आते तो कोई दिक्कत नहीं थी। सब उनका वेलकम करते। चुनाव में अब बहुत कम टाइम मिलता है। मुझे जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस के युवा उम्मीदवार अनिल चौपड़ा ने प्रचार के लिए बुलाया था। मेरे ओएसडी से उनकी बात हुई थी। मेरा प्रोग्राम नहीं बन पाया था। अब मैं यह बयान दूं कि मैं अनिल चौपड़ा के यहां जाना चाहता था, मुझे इनवाइट नहीं किया। यह अच्छी बात नहीं। इससे पब्लिक में गलत मैसेज जाता है कि गहलोत क्यों नहीं आए या क्यों नहीं बुलाए गए। अनावश्यक उम्मीदवार को नुकसान होता है। चुनाव में कभी इस तरह नहीं बोलना चाहिए। चुनाव में कोई बुलाता है, कोई नहीं बुलाता है। सब अपने समीकरण देखते हैं। हर उम्मीदवार अपने हिसाब से प्रचार के लिए नेताओं को बुलाता है। कांग्रेस के कंट्रोल रूम में रिक्वेस्ट करता है। यह मुद्दा नहीं होना चाहिए।

गहलोत ने कहा कि चुनावों के दौरान इस तरह के बयानों से मैं बचता हूं। मैंने कोई बयान नहीं दिए कि मुझे क्यों नहीं बुलाया? मान लीजिए मैं किसी को सूट नहीं करता तो नहीं बुलाएगा। मैं जाऊंगा तो कास्ट इक्वेशन बिगड़ जाएंगे। वो उम्मीदवार नहीं बुलाएगा। इसमें बुरा मानने की क्या बात है? हमारे यहां जातिगत राजनीति भी चलती है। जहां मैं जाऊं और नुकसान हो तो वहां जाने का क्या फायदा? जिस कैंडिडेट को लगे कि उनके आने से मेरी कास्ट इक्वेशन बिगड़ सकती है तो वह नहीं बुलाएगा। मैं उस बात को माइंड क्यों करूं? मैं तो चाहूंगा कि वह जीते। चाहे कोई आदमी किसी का आदमी हो, मैं नहीं देखता हूं। कांग्रेस का हाथ का चुनाव चिन्ह देखता हूं। चाहे किसी का आदमी हो वह जीतना चाहिए, इसलिए मैं बयान देने से बचता हूं।

गहलोत ने कहा कि मैं राजस्थान की 25 सीट में से 22 सीटों पर प्रचार के लिए गया हूं। हमेशा प्रचार में जुटा रहा हूं। चुनाव लड़ने वाले नेता को अपने क्षेत्र में रहना पड़ता है। उसमें कोई बुराई नहीं है। पहले खुद तो जीतें। मैं एकमात्र नेता हूं, जो अपने क्षेत्र में एक दिन जाता हूं, अंतिम दिन जाता हूं। लोकसभा हो या विधानसभा बाकी वक्त पूरे राजस्थान में कैंपेन करता हूं। दिसंबर में भी ऐसा ही किया था। अभी लोकसभा चुनाव में भी अधिकांश बाहर ही रहा हूं। बाड़मेर सीट पर रविंद्र सिंह भाटी की मदद करने के आरोपों पर गहलोत ने कहा कि मैं तो बाड़मेर सीट पर प्रचार करने के लिए तीन बार गया हूं। बाड़मेर ऐसी सीट है, जहां तीन बार कैंपेन किया है। जैसलमेर, बाड़मेर और सिवाना में सभा की है। वहां के कांग्रेस उम्मीदवार उम्मेदाराम बेनीवाल मुझे बार-बार प्रचार के लिए बुला रहे हैं। उस सीट के लिए ऐसे आरोप समझ से परे हैं। जो तीसरे उम्मीदवार खड़े हुए हैं, उनसे जिंदगी में कभी ना मिला, ना मैं जानता हूं।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

   

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