प्रदूषण से धरती को बचाने के लिए भारतीय संस्कृति और संस्कारों को करें आत्मसातः शतांशु

हरिद्वार, 21 मार्च (हि.स.)। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के जन्तु और पर्यावरण विज्ञान विभाग के सभागार में स्वच्छता पखवाड़ा के अन्तर्गत कचरा मुक्त भारत विषय पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की ने किया।

इस अवसर पर उपस्थित एनसीसी केडेट्स से कुलपति प्रो. सोमदेव शतांशु ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति को माता के रूप में मानकर उसकी पूजा करती है। वर्तमान विकासवादी दौड़ प्रकृति का दोहन करने में विकास रखती है। ऐसे में वर्तमान में इस बात की आवश्यकता है कि हमें बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए भारतीय संस्कृति व संस्कारों को आत्मसात करते हुए अपने आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिए आगे आकर कार्य करना चाहिए। इसके लिए हम सभी को अपने आस पास के क्षेत्रों को स्वच्छ रखने की दिशा में कार्य करना चाहिए।

राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की के वरिष्ठ वैज्ञानिक व स्वच्छ भारत मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. एलएन ठकराल ने कहा कि बढ़ता प्रदूषण मानव के लिए एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने है। इससे निजात दिलाने के लिए केन्द्र सरकार ने 2014 से मिशन स्वच्छ भारत की शुरूआत की। यह मिशन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है।

विभाग के संकायाध्यक्ष और विभागाध्यक्ष प्रो. डीएस मलिक ने कहा कि वह इस आयोजन के लिए डॉ. एलएन ठकराल ने समविश्वविद्यालय में आकार बच्चों को जागरूक करने का कार्य किया।

इस अवसर पर समविश्वविद्यालय प्रांगण में पौधरोपण भी किया गया। एनसीसी केडेट्स व उपस्थित शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता जागरूकता की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम को राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की के वैज्ञानिक इंजीनियर हर्ष उपाध्याय ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. नमिता जोशी ने किया। कार्यक्रम में डॉ. सगीता मदान, ओम प्रकाश, पंकज चौहान सहित विभिन्न शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी व छात्र उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

सम्बंधित खबर