लोकसभा चुनाव: नक्सल प्रभवित 105 गांव के ग्रामीण अपने ही गांव में कर सकेंगे मतदान

जगदलपुर, 22 मार्च (हि.स.)। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में नक्सलियों के आधार क्षेत्र में 90 से अधिक सुरक्षा कैंप की स्थापना के साथ ही बस्तर संभाग में लगभग 3000 वर्ग किमी का इलाका नक्सलियों से मुक्त करा लिया गया है। नक्सलियों के आधार क्षेत्र में सुरक्षा बलों की दमदार उपस्थिति ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के मुकाबले वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में 105 गांव ऐसे होंगे, जहां ग्रामीण अपने गांव में ही मतदान कर सकेंगे।

विदित हो कि वर्ष 2019 में नक्सल संवेदनशील 289 मतदान केंद्र थे, जिनका स्थल परिवर्तन किया गया था। इस बार वर्ष 2024 में ऐसे 234 केंद्र है, इसमें बीजापुर के 99, दंतेवाड़ा के 42, कोंटा के 42, नारायणपुर के 41, कांकेर के 09 व जगदलपुर का 01 केंद्र है। इस आधार पर 55 गांव के ग्रामीण इस बार अपने गांव में ही मतदान कर सकेंगे। मतदान केंद्र की संख्या पिछले चुनाव में 1878 थी, जो अब 1957 की गई है, इस आधार पर 79 नए मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें 50 से अधिक केंद्र नक्सल संवेदनशील गांव में बनाये गये हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा की नई सरकार ने सीधे नक्सलियों के जड़ पर प्रहार करते हुए उनके सबसे मजबूत किले को ध्वस्त कर दिया है। दक्षिण बस्तर में नक्सलियों के सबसे सुरक्षित आधार क्षेत्र में सुरक्षा कैंपों की श्रृंखला खड़ी कर दी गई है। बस्तर में नक्सल गतिविधियों का संचालन का केंद्र रहा नक्सली कमांडर हिड़मा के गृहग्राम पूवर्ती में कैंप स्थापित करना नक्सली आतंक को करारा जवाब देते हुए दो माह के भीतर पड़िया, मूलेर, सालातोंग, मुर्कराजकोंडा, दुलेड़, टेकुलगुड़ेम में कैंप स्थापित किए। बस्तर में सक्रिय दूसरे सबसे ताकतवर नक्सल संगठन पश्चिम बस्तर डिवीजन के अधीन गंगालूर एरिया कमेटी के गढ़ को भी ध्वस्त कर दिया गया है।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार बीजापुर जिले में डुमरी पालनहार, पालनार, चिंतावागु, कांवडग़ांव, मुतवेंडी के बाद पुतकेल, गुण्डेम में कैंप स्थापित कर सुरक्षा बल ने अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज की है। अबूझमाड़ में भी सुरक्षा बल ने अभियान शुरू कर दिया है। जहां नारायणपुर के कस्तूरमेटा, मसपुर और कांकेर के पानिडोबिर में सुरक्षा कैंप स्थापित किया है। इन इलाकों में सड़क, बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल खोलकर ग्रामीणों तक शासकीय योजनाओं का लाभ पहुंचाने का काम हो रहा है। इससे ग्रामीण मतदाताओं का भरोसा नक्सलियों के गनतंत्र से हटकर लोकतंत्र की ओर अग्रसर हुआ है। इसका प्रमाण कुछ माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में 75.62 प्रतिशत मतदान कर बस्तर संभाग के नक्सलगढ़ के ग्रामीण मतदाताओं ने सिद्ध कर दिया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राकेश पांडे

   

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