मानवीय गुणों को आत्मसात करने से होता है व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास : आत्मश्रद्धानंद

कानपुर, 23 मार्च (हि.स.)। शिक्षा के साथ-साथ संस्कार और अनुशासन महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन्हीं दोनों से छात्रों का भविष्य निर्भर होता है कि वह किस दिशा में आगे बढ़ना चाहता है। छात्रों को चाहिये कि अपने माता-पिता और गुरुओं को सदा सम्मान करें। ऐसा करने से ईश्वरीय शक्ति जीवन में आपको कहीं कमजोर नहीं होने देगी। जहां तक व्यक्तित्व विकास की बात रही तो मानवीय गुणों को आत्मसात करने से ही व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है। यह बातें शनिवार को बीएनएसडी शिक्षा निकेतन इंटर कालेज बेनाझाबर में विद्यालय की ओर से आयोजित वार्षिक पुरस्कार वितरण में आर के मिशन के सचिव स्वामी आत्मश्रद्धानंद ने कही।

उन्होंने छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रद्धा के साथ ईश्वर का स्मरण करें, ईश्वर की कृपा से लक्ष्य सहजता से प्राप्त हो जाएगा। आगे कहा कि शिक्षा ऐसी हो जिसमें व्यक्तित्व का विकास हो और अपने व्यक्तित्व से अच्छे समाज का निर्माण हो। विद्यार्थियों को सदैव अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिये, लक्ष्य तय करने से पहले भली भांति विचार करना चाहिये और फिर लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जी जान से जुट जाना चाहिये। लक्ष्य प्राप्ति में अगर कोई व्यवधान आता है या कोई उतार-चढ़ाव आता है तो घबराना नहीं चाहिये और मन में कभी हीन भावना नहीं लानी चाहिये, धैर्यपूर्वक आगे बढ़ने से सुनिश्चित है कि आपका लक्ष्य आपके कदमों पर होगा।

इस दौरान आरएसएस कानपुर प्रांत के प्रांत संघचालक भवानी भीख, विद्यालय के प्रबंधक आदित्य शंकर बाजपेयी, प्रधानाचार्य बृजमोहन कुमार सिंह, मंजूबाला श्रीवास्तव, श्याम नारायण द्विवेदी, संचित गुप्ता आदि मौजूद रहें।

हिन्दुस्थान समाचार/अजय/राजेश

   

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