दशकों तक खेली सियासी पारी, अब पूर्व मंत्री ने राजनीति से लिया संन्यास

हमीरपुर, 31 मार्च (हि.स.)। हमीरपुर जिले के एक छोटे से गांव से सरंपच से राजनीति शुरू करने वाले साधारण परिवार के इस शख्स ने दशकों तक सियासी पारी खेली, लेकिन अब इन्होंने राजनीति से ही संन्यास ले लिया है। पार्टी में लम्बी सेवाएं देने के कारण इन्हें बसपा सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया था लेकिन सियासी खेल में इन्होंने भी कई दल बदले।

हमीरपुर जिले के सुमेरपुर थाना क्षेत्र के पौथियां गांव के रहने वाले शिवचरण प्रजापति एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखते हैं। शुरू में इन्होंने गांव की राजनीति करने का फैसला किया। वर्ष 1988 में ये गांव के सरपंच (प्रधान) बने। प्रधान रहते इन्होंने बीएसपी में एन्ट्री ली और वर्ष 1989 में पहली बार सियासी पारी खेलने के लिए कदम रखा। क्षत्रिय और ब्राह्मणों में आपसी रस्साकसी के बीच मायावती ने हमीरपुर सदर सीट से शिवचरण प्रजापति पर पहली बार दांव लगाया। लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी अशोक सिंह चंदेल से पराजित होना पड़ा। वह 25144 मत पाकर दूसरे स्थान पर रहे। पूर्व मंत्री शिवचरण प्रजापति मौजूदा में भाजपा में हैं। इनका बेटा सदर विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी है। लेकिन राजनीति में अब इनमें कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है।

सरपंच से लेकर विधानसभा चुनावों में चार बार बने थे एमएलए

हमीरपुर विधानसभा की सदर सीट पर शिवचरण प्रजापति ने वर्ष 1991 में बीएसपी के टिकट से चुनाव मैदान में कदम रखा और जातीय समीकरण में अशोक सिंह चंदेल को कड़ी टक्कर देते हुए 31.32 फीसदी मत पाकर पहली बार जीत का परचम फहराया। उन्हें कुल मतों में 25602 मत मिले थे। वर्ष 1993 में विधानसभा चुनाव में शिवचरण प्रजापति इस सीट से 509 मतों से चुनाव हारे थे। हालांकि उन्हें 42373 मत मिले थे। बीएसपी के टिकट से वर्ष 1996 में ये फिर चुनाव मैदान में आए और तीसरी बार 49905 मत पाकर सदर सीट पर जीत का परचम फहराया। वर्ष 2002 में भी विधानसभा चुनाव में यहां की सीट पर शिवचरण प्रजापति ने जीत दर्ज कराई थी। जातीय समीकरणों के उलटफेर में वर्ष 2007 के चुनाव में उन्हें हार का स्वाद भी चखना पड़ा।

हमीरपुर सदर सीट के उपचुनाव में बीएसपी छोड़ एसपी में की एन्ट्री

हमीरपुर विधानसभा की सदर सीट पर वर्ष 2012 में विधानसभा चुनाव में शिवचरण प्रजापति को बीएसपी ने टिकट नहीं दिया जिससे इन्होंने बीएसपी छोडऩे का मन बनाया। दो साल बाद वर्ष 2014 में सदर सीट के लिए उपचुनाव कराए गए जिसमें शिवचरण प्रजापति ने बीएसपी छोड़ अखिलेश यादव की साइकिल चलाई। उन्हें जिताने के लिए अखिलेश यादव की सरकार के खनन मंत्री रहे गायत्री प्रजापति ने यहां चुनाव क्षेत्र में कई दिनों तक कैम्प कर चुनाव प्रचार की खुद कमान संभाली थी जिसके चलते शिवचरण प्रजापति ने 68556 मतों से जीत दर्ज कराई थी। उन्हें 112995 मत मिले थे जबकि बीजेपी के खाते में 44439 मत आए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने राजनीति से किनारा ही कर लिया है। अब उनका पुत्र राजनीति में आगे आया है।

बसपा सरकार में बनाए गए थे मंत्री, दशकों तक खेली सियासी पारी

वर्ष 1996 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में बीएसपी और बीजेपी के गठबंधन से सरकार बनी थी। मायावती 21 मार्च 1997 से 21 सितम्बर 1997 तक सूबे की सीएम रहीं तब यहां के एमएलए शिवचरण प्रजापति को पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया था। लेकिन 21 सितम्बर 1997 को कल्याण सिंह के सीएम बनने पर इन्हें कुछ ही महीने बाद मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। कल्याण सिंह 12 नवम्बर 1999 तक सूबे के सीएम रहे थे। शिवचरण प्रजापति ने बताया कि कल्याण सिंह के सीएम बनने पर उनसे पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग वापस लिया गया और प्रौढ़ शिक्षा राज्यमंत्री का पद दिया गया था लेकिन कुछ ही समय बाद उन्हें राज्यमंत्री पद से हटना पड़ा था। कुछ मुद्दों को लेकर गठबंधन में दरारें आ गई थीं।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/सियाराम

   

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