महात्मा विदुर की धरती बिजनौर से किसे मिलेगा जीत का आशीर्वाद

लखनऊ, 29 मार्च (हि.स.)। गंगा किनारें बसा पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बिजनौर महात्मा विदुर की धरती के नाम से देशभर में अपनी विशेष पहचान रखता है। जिस राजा भरत के नाम पर 'भारत' का संदर्भ जुड़ता है, उनके पिता दुष्यंत और माता शकुंतला की मुलाकात बिजनौर में ही हुई थी। अकबर के नवरत्न अबुल फजल और फैजी दोनों यहीं पले-बढ़े थे। मुजफ्फरनगर और मेरठ सीमा से जुड़े बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में हिंदू आबादी अधिक होने के बाद भी यहां राजनेताओं का भविष्य मुस्लिम आबादी तय करती है।

राजनीतिक इतिहास

राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि यहां पर जीत किसी एक दल के खाते में नहीं जाती है। 1985 में हुए लोकसभा के उपचुनाव में मीरा कुमार ने वर्तमान केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को मात दी थी। दोनों के बीच चुनाव में कड़ा मुकाबला रहा था। उस समय देशभर की नजरें बिजनौर लोकसभा सीट पर ही टिकी थीं। वर्ष 2014 के चुनाव में फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा ने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन चौथे नंबर पर रही थीं। इस सीट पर पांच बार इस कांग्रेस तो चार बार भाजपा का कब्जा रहा है। रालोद दो बार, सपा और बसपा ने एक-एक बार चुनाव जीता था। एक बार निर्दलीय प्रत्याशी ने भी यहां जीत दर्ज की। इस सीट पर दो उपचुनाव भी हुए थे जिसमें ये सीट कांग्रेस की झोली जा गिरी थी। मीरा कुमार और मायावती का सियासी सफर बिजनौर संसदीय सीट से ही शुरू हुआ।

2019 चुनाव में बसपा ने जीती बाजी

2019 के लोकसभा चुनाव में बिजनौर संसदीय सीट पर बीजेपी को सपा-बसपा-रालोद गठबंधन से हार मिली थी। सपा-बसपा-रालोद के बीच चुनावी गठबंधन की वजह से जाट-मुस्लिम वोट के जरिए बसपा ने मलूक नागर को मैदान में उतारा तो भाजपा की ओर से कुंवर भारतेंद्र सिंह मैदान में थे। मलूक नागर को 561,045 (51.01 फीसदी) वोट मिले तो भारतेंद्र सिंह को 491,104 (44.57 फीसदी) वोट मिले. मलूक ने 69,941 मतों के अंतर से यह चुनाव जीत लिया।तीसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के नसीमुद्दीन सिद्दीकी। कांग्रेस को 25833 (2.33 फीसदी) वोट मिले। मोदी लहर के दौरान 2014 में इस सीट पर भाजपा प्रत्याशी कुंवर भारतेंद्र सिंह ने कमल का फूल खिलाया था।

बिजनौर सीट का जातीय समीकरण

2011 की जनगणना के अनुसार बिजनौर की कुल आबादी 36 लाख 8 हजार है, जिसमें कुल वोटर 2615368 हैं। इसमें पुरुष वोटर 13 लाख 89 हजार 927 हैं, जबकि महिला वोटरों की संख्या 12 लाख 25 हजार 441 है। बिजनौर में हिंदू आबादी 55 प्रतिशत है जबकि मुस्लिम आबादी 45 प्रतिशत है। हर बार के चुनाव में हिंदू वोटरों की अपेक्षा मुस्लिम वोटर बढ़—चढ़कर वोट डालते हैं। हिंदुओं में भी यहां दलित आबादी 22 फीसदी के करीब है। यहां जाटों का प्रभाव ज्यादा है। इनके अलावा चौहान, त्यागी और सैनी भी असर रखते हैं। हरिजन वोट बड़ी संख्या में है। मुस्लिम वोटर किसी भी पार्टी को जीत दिलाने का माद्दा रखते हैं। यही वजह है कि दलितों के गठजोड़ से यहां बसपा अपना परचम लहराती रही है।

संसदीय क्षेत्र के विधानसभा सीटों पर एनडीए का दबदबा

बिजनौर लोकसभा में बिजनौर व चांदपुर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर व पुरकाजी, मेरठ की हस्तिनापुर विधानसभा सीट आती है। इनमें चांदपुर में सपा का कब्जा है तो बिजनौर व हस्तिनापुर में भाजपा, मीरापुर व पुरकाजी में रालोद के विधायक है। ऐसे में यहां भी रालोद के लिए विधानसभा सीटों के आधार पर भी सकारात्मक समीकरण बन रहे है।

2024 में गठबंधन के साथी बदल गए

पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा-रालोद का गठबंधन था। इस बार भाजपा-रालोद गठबंधन में हैं। सपा-कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथी हैं। बसपा अकेले मैदान में है। एनडीए गठबंधन में यह सीट रालोद के खाते में है। वहीं इंडिया गठबंधन में ये सीट सपा के कोटे में आई है।

कौन है मैदान में

रालोद ने बिजनौर से विधायक चंदन चौहान को मैदान में उतारा है। सपा ने दीपक सैनी और बसपा ने चौधरी विजेंद्र सिंह पर दांव लगाया है।

क्या कहते हैं समीकरण

रालोद ने चंदन चौहान को चुनाव मैदान में उतारकर जाट-गुर्जर का जातीय समीकरण साधा है। सपा ने पहले यशीवर सिंह के नाम का ऐलान किया था। लेकिन दूसरी सूची में यशवीर का टिकट काटकर दीपक को प्रत्याशी घोषित किया गया। दीपक सैनी के पिता रामअवतार सैनी नगीना लोकसभा सीट में शामिल नूरपुर सीट से विधायक हैं। बिजनौर लोकसभा सीट पर सैनी समाज के वोटरों की बड़ी तादाद है। सैनी समाज के वोटरों को साधने के लिए सपा ने टिकट में परिवर्तन किया है। बसपा प्रत्यााशी चौधरी विजेंद्र सिंह जाट समुदाय से हैं। विजेंद्र सिंह ने हाल ही में रालोद के राष्ट्रीय महासचिव के पद से लोकदल से इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हुए हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पिछली बार बसपा ने बिजनौर और नगीना दोनों सीटें जीती थीं, लेकिन इस बार रालोद-भाजपा गठबंधन, सपा-कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होगा। रालोद इस सीट को दो बार जीत चुकी है। जाट और गुर्जर वोटों पर उसकी अच्छी पकड़ है। भाजपा से गठबंधन होने के कारण रालोद की राह यहां असान होती दिख रही है।

बिजनौर से कौन कब बना सांसद

1952 स्वामी रामानंद शास्त्री (कांग्रेस)

1957 अब्दुल लतीफ गांधी (निर्दलीय)

1962 प्रकाश वीर शास्त्री (कांग्रेस)

1967 स्वामी रामानंद शास्त्री (कांग्रेस)

1971 स्वामी रामानंद शास्त्री (कांग्रेस)

1974 राम दयाल (कांग्रेस) उपचुनाव

1977 माही लाल (जनता पार्टी)

1980 मंगल राम प्रेमी (जनता पार्टी सेक्युलर)

1984 चौधरी गिरधारी लाल (कांग्रेस)

1985 मीरा कुमार (कांग्रेस) उपचुनाव

1989 मायावती (बसपा)

1991 मंगल राम प्रेमी (भाजपा)

1996 मंगल राम प्रेमी (भाजपा)

1998 ओमवती देवी (समाजवादी पार्टी)

1999 शीश राम सिंह रवि (भाजपा)

2004 मुंशीराम (राष्ट्रीय लोकदल)

2009 संजय सिंह चौहान (राष्ट्रीय लोकदल)

2014 भारतेंद्र सिंह (भाजपा)

2019 मलूक नागर (बसपा)

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. आशीष वशिष्ठ/बृजनंदन

   

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