सोमवती अमावस्या आठ अप्रेल को

जयपुर, 5 अप्रैल (हि.स.)। सोमवती अमावस्या चैत्र कृष्ण अमावस्या तिथी आठ अप्रेल को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। साथ ही पितृ का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते है। सोमवती अमावस्या 8 अप्रेल को सुबह 3 बजकर 11 मिनट से शुरू होकर रात 11 बजकर 50 मिनट तक रहेगी।

इन बातों को रखें ध्यान

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पशु-पक्षी को कभी भी प्रताड़ित नहीं करना चाहिए । ना ही किसी असहाय को परेशान करना चाहिए ,ऐसा करने से राहु का प्रकोप बढ़ता है। खासतौर पर सोमवती अमावस्या के दिन कौआ, कुत्ता, गाय, भैंस आदि जीवों का अपमान नहीं करना चाहिए । अमावस्या पर पशु –पक्षियों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करनी चाहिए । ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते है।

सोमवती अमावस्या के दिन काले तिल का दान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होते है और पितृ की कृपा बनी रहती है। जिससे जीवन में तरक्की के रास्ते खुलते है। इसी के साथ काले तिल का मंदिर में भी दान करना चाहिए।

पं. बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा जरूर करनी चाहिए । ऐसा करने से भगवान शिव और पार्वती की कृपा बनी रहती है। भगवान शिव और पार्वती को नारियल, केतकी का फूल और सिंदूर अर्पण करना चाहिए। इस दिन दूध और चावल का दान भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

हिंदू धर्म में पिंडदान का बहुत ही महत्व है अगर किसी कारणवश पितृ का पिंडदान नहीं किया गया है तो सोमवती अमावस्या के दिन पिंडदान भी करना चाहिए, इससे पितरों की असंतुष्ट आत्मा संतुष्ट होती है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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