पाैलुस सुरीन को दोषी करार देने के फैसले का स्व भूषण सिंह के स्वजनों ने किया स्वागत

खूंटी, 6 अप्रैल (हि.स.)। तोरपा विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे पौलुस सुरीन को जिले के चर्चित भूषण सिंह की हत्या में अपर न्यायायुक्त दिनेश कुमार की अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने से एक ओर जहां भूषण सिंह के स्वजनों में काफी हर्ष है। भूषण सिंह के अनुज कामायणी सिंह ने फान पर बताया कि निर्णय स्वागत योग्य है।

कामायणी सिंह इस घटना के चश्मदीद गवाह हैं।। उन्होंने ही कर्रा थाने में विधाायक पौलुस सुरीन सहित छह लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया था। इस हत्याकांड में पौलुस सुरीन के अलावा तीन महिलाओं और दो अन्य लोगों को आरोपित बनाया गया था। कामायणी सिंह ने कहा कि उन्हें न्याय पर पूरा भरोसा था। देंर से ही सहही,पर कोर्ट ने सही निर्णय दिया है। उन्होंने कहा कि विधायक पौलुस सुरीन ने ही उनके भाई भूषण सिंह की हत्या की थी।

उन्होंने कहा कि उनके भाई कोई अपराधी नहीं थे, पर अन्याय के खिलाफ हमेशा आवाज उठाते थे। यही कारणा है कि पुलिस मुूखबिरी का आरोप लगाते हुए विधायक ने उनकी हत्या कर दी। उहोंने कहा कि अदालत में उन्होंने मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा और उन्हें न्याय मिला। ज्ञात हो कि कर्रा थाना क्षेत्र के तिरला गांव में भूषण सिंह के घर पर 27 मई 2013 को शादी समारोह था। उसी दौरान दिन दहाड़े अपराधियों ने अत्याधुनिक हथियारों से भूषण सिंह पर गोलियों की बौछार कर दी। इस फायरिंग में भूषण सिंह के साथ घर के चबूतरे पर बैठे रामगोविंद सिंह भी मारे गये थे। घटना कों लेंकर भूषण के भाई कामायणीी सिंह ने विधायक पौलुस सुरीन सहित छह लोगों के चिालाफ नामदर्ज प्राथमिकी कर्रा थाने में दर्ज कराई थी। इनमें तीन महिलाएं शामिल थीं।

दबंग नेता के रूप में पहचान बनाई थीं पौलुस सुरीन ने

सिमडेगा जेल में रहकर पहली बार झामुमो के टिकट पर 2005 में विधायक बने पौलुस सुरीन दो बार तोरपा के विधायक चुने गये। दूसरी बार भी उन्होंने 2009 में भाजपा के कोचे मुंडा को परास्त किया था, लेकिन 2014 के विधाानसभा चुनाव में झामुमो ने पौलुस को टिकट नहीं देकर सुदीप गुड़िया को मैदान में उतारा। इसके विवरोध में पौलुस निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडा और 19 हजार से अधिक वोट पा्रप्त किय थे। जानकार बताते हैं कि यही 19 हजार वोट झामुमो की हार और भाजपा की जीत का अधार बना था। राजनीति के जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान पौलुस सुरीन के क्षेत्र में नहीं रहने का असर दो राजनीतिक दलों पर पड़ सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल

   

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