शाही बंदूकों के बीच निकली बूढ़ी गणगौर की शाही सवारी

जयपुर, 12 अप्रैल (हि.स.)। राजधानी जयपुर मे बूढी गणगौर की शाही सवारी राजसी ठाट से निकाली गई। इसी के साथ गणगौर उत्सव का समापन हुआ। शुक्रवार को भी जनानी ड्योड़ी से बूढ़ी गणगौर की शाही सवारी चांदी की पालकी में निकाली गई। शाही सवारी की अगुवाई में ऊंट पर लगी शाही बंदूक और शाही गार्ड तैनात रहे। बूढ़ी गणगौर की यात्रा को देखने के लिए शुक्रवार को भी देशी - विदेशी काफी संख्या में हिंद होटल की छत पर नजर आए।

बूढ़ी गणगौर की शाही सवारी को लेकर पर्यटन विभाग के उप निदेशक उपेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि बूढ़ी गणगौर की शाही सवारी पहले दिन जैसे ही काफी धूमधाम से निकाली गई । लेकिन पहले दिन शाही सवारी को रवाना करने से पहले पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने गणगौर माता की पूजा-अर्चना की थी। लेकिन वहीं बूढ़ी गणगौर की शाही सवारी बिना पूजा के निकाली गई। बूढ़ी गणगौर की सवारी त्रिपोलिया गेट से प्रारंभ होकर त्रिपोलिया बाजार होते हुए छोटी चौपड़ ,गणगौरी बाजार होते हुए तालकटोरा पहुंची ।

बूढ़ी गणगौर पर सवारी के साथ लोक कलाकार अपनी अलग अलग पोशाकों में नजर आए । इस शाही सवारी को भव्य स्वरूप देने के लिए लोक कलाकारों ने अपनी अलग-अलग प्रस्तुतियां दी। लोक कलाकारों ने कच्ची घोड़ी ,अलगोजा वादन ,कालबेलिया नृत्य ,बहरूपिया जैसे नृत्य की प्रस्तुतियां देकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। किशनगढ़ के कलाकार ने घूमर व चकरी नृत्य की प्रस्तुतियां दी। शेखावाटी के लोक कलाकारों ने चंग, ढ़प से देशी-विदेशी सैलानियों का दिल जीता ।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप

   

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