कोई भी कार्य उत्तेजना में नहीं, योजना के अनुरूप होना चाहिए : स्वामी गोविन्द देव

हरिद्वार, 14 अप्रैल (हि.स.)। पतंजलि विश्वविद्यालय में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज कथा के छठवें दिन स्वामी गोविन्द देव गिरि महाराज ने कहा कि अनुशासन का पालन करने वाले थोड़े से लोग भी योजनाबद्ध तरीके से कार्य करें तो बड़े कार्य को सिद्ध कर सकते हैं। समय की प्रतीक्षा करना आना चाहिए, कोई भी कार्य उत्तेजना में नहीं, योजना के अनुरूप होना चाहिए। मुट्ठी भर अंग्रेजों ने भारत आकर 150 वर्षों तक राज किया, इसका मुख्य कारण योजना और अनुशासन था।

स्वामी गोविन्द देव गिरि ने कहा कि इस कथा में सारा इतिहास विश्वासघात का इतिहास है। ऐसे कई प्रसंग हैं जिनमें पराक्रम, वीरता, साहस के साथ-साथ छल, धोखा व विश्वासघात दिखाई पड़ता है। जीजा माता के पिता व दो भाइयों को धोखे से मारा गया। शिवाजी महाराज के बड़े भाई सम्भा जी को भी अफजल खान ने विश्वासघात से मारा। जीजा माता की वेदना कैसे शांत हो सकती थी, जिसने अपने पिता, भाइयों व पुत्र को खोया हो। जगदम्बा माता के मंदिर को अफजल खान ने तोड़ा था, वह घाव शिवाजी महाराज के अंतःकरण में था। जीजा माता के साथ-साथ सम्पूर्ण भारत की यह आकांक्षा थी कि इन पापियों को कुचलने का सत्र आरम्भ होना चाहिए। माता जीजा के संकल्प को शिवाजी महाराज ने अफजल खान को मारकर पूरा किया। जो कार्य भगवान राम ने रावण को मारकर किया था। भगवान कृष्ण ने कंस का निंकदन करके किया, वही कार्य शिवाजी महाराज ने अफजल खान का संहार करके किया।

स्वामी रामदेव महाराज ने कहा कि जब हम सनातन धर्म के संरक्षक, उद्गाता, उसके प्रणेता, और राष्ट्र जागरण के पुरोधा छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को देखते हैं तो एक महान व्यक्तित्व हमारे आंखों के सामने आ जाता है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज ने सनातन धर्म, राष्ट्र धर्म के साथ एक विराट लक्ष्य लेकर जो इतना बड़ा प्रचंड पुरुषार्थ और पराक्रम किया आज उस रूप में युद्ध की आवश्यकता नहीं है ,लेकिन हमारी सांस्कृतिक विरासत के विरुद्ध आज भी वैचारिक संग्राम, सांस्कृतिक संग्राम, आर्थिक युद्ध, राजनैतिक युद्ध, सामाजिक युद्ध चारों ओर अभी भी चल रहा है।

उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा, चिकित्सा, खान-पान, वेश-भूषा, तथा हमारी भाषा आदि सभी तरह से हमारे गौरव को धूमिल करने के लिए जो कुत्सित प्रयास करते हैं और चारों तरफ जो राजसिक, तामसिक, आसुरी शक्तियां संगठित होकर छद्म रूप से जो प्रहार करती हैं, इन सबके विरुद्ध हम सबको संगठित होकर अपने-अपने उत्तरदायित्वों का निर्धारण करना है।

इस अवसर पर पतंजलि परिवार के वरिष्ठ पद्मसेन आर्य ने सपत्नीक आरती में भाग लिया। कार्यक्रम में भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी एनपी सिंह, पतंजलि विश्वविद्यालय की मानविकी संकायाध्यक्षा साध्वी आचार्या देवप्रिया, भारत स्वाभिमान के मुख्य केन्द्रीय प्रभारी राकेश व स्वामी परमार्थदेव, पतंजलि विश्वविद्यालय के आईक्यूएसी सैल के अध्यक्ष प्रो. केएनएस यादव, कुलानुशासक स्वामी आर्षदेव सहित सभी शिक्षण संस्थान, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी व साध्वी तथा पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध समस्त इकाइयों के इकाई प्रमुख, अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

सम्बंधित खबर