गायत्री सनातन धर्म और संस्कृति का आधारः विज्ञानानंद

हरिद्वार, 24 अप्रैल (हि.स.)। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गायत्री मंत्र की महिमा अपरंपार है और जिस व्यक्ति के मुख से गायत्री मंत्र का उच्चारण हो जाता है उसका तन, मन और अंतःकरण तीनों पवित्र हो जाते हैं। वे आज राजा गार्डन स्थित श्रीहनुमत गौशाला में चल रहे श्रीगायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे।

वेदमाता गायत्री को सनातन धर्म और संस्कृति का आधार बताते हुए स्वामी विज्ञानानंद सरस्वतीजी महाराज ने कहा कि गायत्री मंत्र किसी धर्म विशेष ही नहीं बल्कि संपूर्ण सृष्टि के लिए कल्याण कारक है। गायत्री मंत्र के साथ दी गई आहुति से विश्व कल्याण के लिए सकारात्मक वातावरण का सृजन होता है। दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गुजरात एवं उत्तर प्रदेश से आए श्रद्धालुओं के साथ ही बड़ी संख्या में पूर्णाहुति करने पहुंचे स्थानीय गण्यमान्य नागरिकों को भाग्यशाली बताते हुए उन्होंने कहा कि तीर्थ स्थल और गंगा तट पर गौशाला में किया गया गायत्री महायज्ञ निश्चित ही विश्व कल्याण के लिए उत्तम कारक बनेगा।

अग्नि देवता और यज्ञ भगवान की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि यज्ञ के सम्मुख संयुक्त रूप से लिया गया संकल्प कल्याणकारी ही होता है और जो दूसरों का कल्याण चाहते हैं, भगवान सबसे पहले उन्ही का कल्याण करते हैं।

आचार्य हरिओम ब्रह्मचारी एवं हरिकेश ब्रह्मचारी ने हनुमान जयंती एवं गायत्री महिमा पर विस्तार पूर्वक व्याख्यान देकर सभी श्रद्धालुओं की जिज्ञासा को मूर्त रूप दिया।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं धर्म नगरी के गणमान्य नागरिकों सहित अखाड़ों के सन्यासी भी उपस्थित थे जिन्होंने मां गायत्री का प्रसाद ग्रहण कर अपना अंतःकरण पवित्र किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ रजनीकांत/रामानुज

   

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