24 घंटे में बूथों के आंकड़ों में भारी गिरावट, चुनाव आयोग की कार्य शैली पर उठे सवाल

कोलकाता, 03 दिसंबर (हि. स.)। राज्य में चल रहे एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है। ‘अनकलेक्टेबल फॉर्म’ से जुड़ी बूथों की संख्या केवल 24 घंटे के भीतर दो हजार 208 से घटकर 480 रह जाने पर चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोप लगने लगे हैं।

आयोग ने दावा किया था कि 2208 मतदान केंद्र ऐसे हैं जहां एक भी मृत अथवा डुप्लीकेट या स्थानांतरित मतदाता नहीं मिले हैं। इस पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे। क्योंकि आखिरी एसआईआर वर्ष 2002 में हुई थी और उस पूरे इलाके में 2002 से लेकर इस वर्ष यानी 2025 तक कोई मतदाता की मौत नहीं हुई या कोई शिफ्ट नहीं हुआ, यह विश्वास करने योग्य नहीं था। इस हफ्ते की शुरुआत में जब आयोग ने यह आंकड़ा जारी किया था तब भारतीय जनता पार्टी सहित अन्य दलों ने गंभीर सवाल खड़े किए थे।

इसके बाद अब आयोग ने यह संख्या घटा दिया है इसीलिए इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने इस पूरे घटनाक्रम को ‘अविश्वसनीय’ बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

पार्टी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने आयोग पर निशाना साधते हुए कहा कि यह मज़ाक नहीं तो और क्या है? कभी दो हजार, कभी चार सौ, आखिर चुनाव आयोग कर क्या रहा है? अगर ऐसी ही स्थिति है, तो आयोग को अपने नाम के नीचे एक पट्टिका लगाकर घोषित कर देना चाहिए कि यह भारतीय जनता पार्टी की शाखा संगठन है।

सोमवार को मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि राज्य के दो हजार 208 बूथों पर पिछले एक वर्ष में न तो कोई मतदाता मृत घोषित हुआ, न लापता हुआ और न ही बाहर गया। इसके अलावा करीब पांच हजार 800 बूथों पर एक से दस तक ‘अनकलेक्टेबल’ फॉर्म पाए गए थे। उस समय ही आयोग के अधिकारी इस आंकड़े को ‘संदेहास्पद’ मान रहे थे।

घोष ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया के आरंभ से ही आयोग बार-बार असंगत और हड़बड़ी में फैसले ले रहा है। उनके अनुसार, “हमारा रुख साफ है, न तो किसी फर्जी मतदाता को अनुमति देंगे और न ही किसी वैध मतदाता को सूची से हटाने की साजिश को स्वीकार करेंगे। आयोग लगातार गलत आंकड़े दे रहा है और गलत योजना बनाकर भाजपा को राजनीतिक लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रहा है।”

हिन्दुस्थान समाचार / ओम पराशर

   

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