काशी तमिल संगमम के उद्घाटन समारोह में सीएम योगी भी शामिल होंगे

—समारोह में केंद्रीय मंत्री डॉ. एल. मुरुगन भी भाग लेंगे , छह ग्रुपों में आएंगे तमिलनाडु के 1200 प्रतिनिधि और सांस्कृतिक कलाकार

वाराणसी,13 फरवरी (हि.स.)। काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्करण में भाग लेने के लिए तमिलनाडु से पहला जत्था काशी के लिए रवाना हो गया है। समारोह में कुल 06 ग्रुपों में प्रतिनिधि शामिल होंगे। उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृति को आपस में जोड़ने के लिए हो रहे आयोजन के उद्घाटन समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल हो सकते है। संगमम में केन्द्रीय मंत्री डॉ एल मुरूगन भी भाग लेंगे। गुरूवार को जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने पत्रकारों को संगमम की विस्तार से जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि संगमम का तीसरा संस्करण 15 फरवरी से 24 फरवरी तक चलेगा। तमिलनाडु से आ रहे प्रत्येक जत्थे में 200 लोग शामिल होंगे। काशी तमिल संगमम का उद्घाटन नमोघाट पर होगा। उन्होंने बताया कि प्रतिनिधि मंडल काशी के प्रमुख मठ मंदिरों में भ्रमण के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करेगा। रात्रि विश्राम के बाद दल के सदस्य अगले दिन प्रयागराज महाकुंभ जाकर संगम तट पर स्नान करेंगे। तीसरे दिन अयोध्या जाएंगे । वहां दर्शन पूजन कर काशी लौट तमिलनाडु के लिए रवाना हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि काशी तमिल संगमम की थीम इस बार ऋषि अगस्त्य पर आधारित होगी जो उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को प्रगाढ़ करेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ उत्तर और दक्षिण भारत के दर्शन, संस्कृति और साहित्य की गौरवशाली विरासत भी समृद्ध होगी। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम को कराने की जिम्मेदारी बीएचयू और मद्रास आईआईटी को दी गई है। वाराणसी जिला प्रशासन इसमें सहयोग कर रहा है। संगमम में शिक्षा मंत्रालय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रही है।

जिलाधिकारी ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को प्रगाढ़ बनाना है। जिससे दोनों क्षेत्रों के लोग एक-दूसरे की परंपराओं और विरासत को समझ सके। उन्होंने बताया कि काशी तमिल संगमम में एकेडमिक सेशन्स को भी प्रमुखता दी गई है। जिससे उत्तर और दक्षिण भारत के शिक्षाविदों और छात्रों के बीच विचारों का आदान-प्रदान हो सके। इसके अलावा, संगमम में उत्तर और दक्षिण भारत की विभिन्न कलाकृतियों और सांस्कृतिक थीम से जुड़ी लगभग 70 स्टॉल भी लगाई जाएंगी। नमोघाट पर तमिलनाडु की पारंपरिक कलाओं का प्रतिदिन प्रदर्शन किया जाएगा, जिससे वाराणसी के लोग भी दक्षिण भारतीय संस्कृति को करीब से देख और समझ सकें। प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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