जिलाधिकारी की मानवीय पहल से नन्हीं कशिश को मिला मां का घर

कानपुर, 20 जुलाई (हि. स.)। आठ साल की नन्ही कशिश, जिसने मां को खो दिया और पिता ने भी साथ छोड़ दिया, पिछले सप्ताह जनता दर्शन में जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह के समक्ष मार्मिक मामला संज्ञान में आने पर त्वरित संबंधित अधिकारीयों को निर्देशित किया। जिससे अब नन्ही कशिश के सिर पर छत और कानूनी संरक्षण दोनों मिल पाया है। जिलाधिकारी की इस मानवीय पहल को लेकर आमजन में खूब सराहना हो रही है।

आपको बता दें कि बीते सप्ताह वृद्ध चन्द्रभान पाण्डेय अपनी नातिन कशिश के साथ जनता दर्शन में पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी की मृत्यु के बाद कशिश को वही पालन -पोषण कर रहे हैं, क्योंकि बच्ची के पिता ने दूसरी शादी कर उसे अपनाने से इनकार कर दिया है। चन्द्रभान पाण्डेय ने बताया कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कानपुर विकास प्राधिकरण के ज़रिये उनकी दिवंगत बेटी को महावीर योजना में एक फ्लैट आवंटित हुआ था। बेटी के निधन के बाद वे उस फ्लैट का नाम बच्ची के नाम कराना चाह रहे थे, लेकिन कानूनी दिक्कतों के कारण प्रक्रिया अटकी हुई थी।

जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि मामला एक आठ साल की बच्ची से जुडा था इसकी देखते हुए तत्काल निर्देश दिए और जिला प्रोबेशन अधिकारी ने पूरी जानकारी बाल कल्याण समिति को दी। वहां से किशोर न्याय अधिनियम के तहत कशिश के नाना चन्द्रभान पाण्डेय को बालिका का विधिक संरक्षक घोषित किया गया और आवश्यक आदेश जारी किए गए। साथ ही अब कानपुर विकास प्राधिकरण द्वारा नामांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो एक माह के भीतर पूरी हो जाएगी। इसके बाद कशिश को अपनी मां का घर अधिकार पूर्वक मिल जाएगा।

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि बालिका को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जोड़ा जाए, जिससे उसे 18 वर्ष तक 2500 रूपये प्रतिमाह की सहायता मिलती रहे। साथ ही उसका नाम समीप के विद्यालय में दर्ज कराने के आदेश भी दिए गए हैं।

जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि शासन की मंशा यही है कि कोई पात्र और जरूरतमंद बच्चा सहायता से वंचित न रहे। निराश्रित बालिकाओं के संरक्षण और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रशासन पूरी लगनशीलता से कार्य कर रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / मो0 महमूद

   

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