हाईकोर्ट परिसर में बम धमाके की लगातार तीसरे दिन भी मिली धमकी

जयपुर, 10 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान हाईकोर्ट में लगातार तीसरे दिन भी बम विस्फोट करने की धमकी मिली है। इस सप्ताह की शुरुआत से लेकर रोजाना ऐसी धमकी भरा ईमेल मिल रहा है। धमकी की जानकारी मिलने के बाद हाईकोर्ट प्रशासन ने मुकदमों की सुनवाई करीब एक घंटे के लिए टाल दी है। दूसरी ओर बम विस्फोट की धमकी को देखते हुए गुरुवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के होने वाले चुनाव में प्रशासन से अतिरिक्त सुरक्षा बल की मांग की गई है।

पूर्व की तरह धमकी की सूचना मिलने के बाद उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी देकर परिसर की जांच की गई। इस दौरान वकीलों और पक्षकारों सहित अन्य सभी को मुख्य परिसर से बाहर कर तलाशी अभियान आरंभ किया गया।

हाईकोर्ट चौकी प्रभारी सुमेर सिंह ने बताया कि बम की सूचना मिलते ही पुलिस के बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड की ओर से पूरे हाईकोर्ट परिसर के चप्पे-चप्पे की जांच की गई। वहीं हाईकोर्ट के मुख्य परिसर से न्यायिक कर्मचारियों, अधिवक्ताओं व पक्षकारों को बाहर निकाला गया है। मौके पर किसी भी अनहोनी ने निपटने के लिए फायर बिग्रेड और एंबुलेंस तैनात की गई है।

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा का कहना है कि हाईकोर्ट परिसर में सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए गए हैं, लेकिन अब यह गंभीर मुद्दा बन चुका है कि रोजाना कौन यहां बम विस्फोट की धमकी दे रहा है। इसके पीछे किसी खास मुकदमे की सुनवाई टालना है या रोजाना धमकी देकर प्रशासन को इसके प्रति उदासीन कर बाद में कोई बड़ी घटना अंजाम देने की योजना है। शर्मा का कहना है कि हाईकोर्ट बहुत संवेदनशील स्थान है और कई अहम मुद्दों की यहां सुनवाई होती है। ऐसे में जांच एजेंसी को चाहिए की वह तत्काल यह पता लगाए कि आखिर इस तरह की धमकी कौन दे रहा है और इसके पीछे क्या उद्देश्य है।

डेढ़ माह में मिली पांचवीं बार धमकी

हाईकोर्ट प्रशासन को सबसे पहले गत 31 अक्टूबर को बम विस्फोट की पहली धमकी मिली थी। इसके बाद एक माह की शांति के बाद 5 दिसंबर को दूसरी धमकी मिली। वहीं बीते 8 दिसंबर से रोजाना ही हाईकोर्ट प्रशासन को इस तरह की धमकी मिल रही है। वहीं सेशन कोर्ट को भी अब तक दो बार बम विस्फोट की धमकी मिल चुकी है। हर बार मेल मिलने के बाद मुकदमों की सुनवाई बीच में बंद कर दी जाती है और कोर्ट परिसर खाली करा लिया जाता है। जिससे एक और भय का माहौल पैदा हो गया है, वहीं मुकदमों की सुनवाई भी प्रभावित होती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / पारीक

   

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