नासिक में वृक्षों के रुदन पर प्रशासन मौन

Administration unaware of cries of trees

मुंबई,4 दिसंबर ( हि.स.) । ठाणे के प्रसिद्ध पर्यावरणविद डॉ. प्रशांत रेखा रवींद्र सिनकर ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को एक अत्यंत भावनात्मक प्रस्ताव दिया है, जिसमें मांग की गई है कि कुंभ मेले के लिए नासिक के तपोवन इलाके में पेड़ों की कटाई का प्रस्ताव तुरंत रोका जाए। तपोवन में हरियाली पर कुल्हाड़ी की छाया पड़ते ही पर्यावरणविद ने कड़ी नाराज़गी जताई है।

तपोवन इलाके को नासिक का ‘ग्रीन हार्ट’ माना जाता है। स्टूडेंट्स की सुबह की दौड़ से लेकर एक्सरसाइज़ तक, चिड़ियों के घोंसलों से लेकर संतों के ध्यान तक, इन पेड़ों ने शहर की लाइफस्टाइल को सहारा दिया है। जैसे ही एडमिनिस्ट्रेशन ने इन सदियों पुराने पेड़ों को काटने का प्रस्ताव रखा, लोगों ने अपनी नाराज़गी जताई।

हालांकि कुंभ मेला लाखों भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक त्योहार है, लेकिन इसकी प्लानिंग के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचाने का रास्ता अपनाना गलत है। डॉ. प्रशांत सिंकर ने अपने बयान में कहा, “कुंभ मेला 12 साल बाद आता है, लेकिन कटे हुए पेड़ वापस नहीं आते। तपोवन नासिक की आत्मा है। विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना ही आज के महाराष्ट्र के लिए सही फैसला होगा।

उन्होंने यह भी बताया कि इस पेड़ कटाई के दूसरे समाधान भी हैं। उन्होंने यह भी मांग की कि सरकार स्टिल्ट/ऊंची इमारतों के निर्माण, अस्थायी ढांचों को दूसरी जगह ले जाने, इस्तेमाल न होने वाली सरकारी जमीनों का दोबारा इस्तेमाल करने और नदी के किनारे इको-फ्रेंडली प्लानिंग जैसे विकल्पों पर विचार करे।

तपोवन में पेड़ों को बचाने के लिए कई पर्यावरणविद, नागरिक संगठन और स्थानीय निवासी आगे आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर “तपोवन बचाओ” अभियान ने भी जोर पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री को भेजे गए बयान के बाद अब पर्यावरणविदों और नासिक निवासियों की निगाहें सरकार के फैसले पर हैं।

ठाणे के पर्यावरणविद डॉ प्रशांत सिनकर ने कहा है कि तपोवन में पेड़ों की कटाई नासिक की आत्मा पर एक घाव है। कुंभ मेला महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रकृति का बलिदान कभी मंजूर नहीं है। पेड़ों को बचाने के लिए सरकार को तुरंत दखल देना चाहिए।

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हिन्दुस्थान समाचार / रवीन्द्र शर्मा

   

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