नीति आयोग की रिपोर्टः एमएसएमई क्षेत्र में बड़ी संख्या में कर्मचारी औपचारिक तकनीकी प्रशिक्षण से वंचित

नई दिल्ली, 2 मई (हि.स.)। नीति आयोग के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र में कौशल की भारी कमी है। बड़ी संख्या में कर्मचारी औपचारिक तकनीकी प्रशिक्षण से वंचित हैं, जिससे उत्पादकता और विस्तार की संभावनाओं पर असर पड़ता है। साथ ही कहा है कि 2020 से 2024 के बीच एमएसएमई की औपचारिक क्रेडिट तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। फिर भी केवल 19 प्रतिशत डिमांड ही औपचारिक क्रेडिट से पूरी हो पा रही है।

नीति आयोग ने आज ‘भारत में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना’ शीर्षक से विस्तृत रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (आईएफसी) के सहयोग से तैयार की गई है और इसमें भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की क्षमता को सशक्त करने के लिए वित्त, कौशल, नवाचार और बाजार तक पहुंच में सुधार जैसे पहलुओं पर विस्तृत खाका प्रस्तुत किया गया है।

रिपोर्ट में एमएसएमई क्षेत्र से जुड़ी प्रमुख समस्याओं और चुनौतियों का विश्लेषण किया गया है। यह रिपोर्ट कपड़ा और परिधान निर्माण, रासायनिक उत्पाद, ऑटोमोटिव और खाद्य प्रसंस्करण जैसे चार प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है।

रिपोर्ट में पाया गया है कि 2020 से 2024 के बीच एमएसएमई की औपचारिक क्रेडिट तक पहुंच में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इस अवधि में छोटे और सूक्ष्म उद्यमों द्वारा अनुसूचित बैंकों से ऋण प्राप्त करने की दर 14 प्रतिशत से बढ़कर 20 प्रतिशत हो गई, जबकि मध्यम उद्यमों के लिए यह आंकड़ा 4 प्रतिशत से बढ़कर 9 प्रतिशत तक पहुंचा है। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अब भी 80 लाख करोड़ रुपये का बड़ा क्रेडिट गैप बना हुआ है और केवल 19 प्रतिशत डिमांड ही औपचारिक क्रेडिट से पूरी हो पा रही है।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि एमएसएमई क्षेत्र में कौशल की भारी कमी है। बड़ी संख्या में कर्मचारी औपचारिक तकनीकी प्रशिक्षण से वंचित हैं, जिससे उत्पादकता और विस्तार की संभावनाओं पर असर पड़ता है। इसके अलावा, तकनीक को अपनाने में बिजली की अनियमित आपूर्ति, कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी और उच्च लागत जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं।

रिपोर्ट यह बताती है कि केंद्र और राज्य सरकारों की विभिन्न योजनाओं के बावजूद, एमएसएमई मालिकों में योजनाओं की जागरूकता और पहुंच की कमी बनी हुई है। इसके समाधान के लिए रिपोर्ट राज्य स्तर पर मजबूत नीतिगत ढांचे, बेहतर निगरानी, डेटा एकीकरण और नीति निर्माण में हितधारकों की भागीदारी बढ़ाने की सिफारिश करती है।

नीति आयोग का मानना है कि लक्षित हस्तक्षेप, संस्थागत सहयोग और नवाचार को बढ़ावा दिये जाने पर एमएसएमई भारत की समावेशी आर्थिक वृद्धि का प्रमुख स्तंभ बन सकते हैं।

-------------

हिन्दुस्थान समाचार / अनूप शर्मा

   

सम्बंधित खबर