संत प्रेमानंद को किडनी देना चाहते हैं राज कुंद्रा, पत्नी शिल्पा शेट्टी संग पहुंचे वृंदावन

संत प्रेमानंद से एकांतिक वार्ता में शिल्पा और पति राज कुंद्रा ने रखा किडनी देने का प्रस्ताव

मथुरा, 14 अगस्त(हि.स.)। सिनेतारिका शिल्पा शेट्टी अपने पति राज कुंद्रा के साथ गुरुवार की सुबह संत प्रेमानंद से एकांतिक वार्ता में आशीर्वाद लेने पहुंचे जहां राज कुंद्रा ने अपनी एक किडनी देने का प्रस्ताव रखा। प्रेमानंद जी महराज उन्हें मना करते हुए बोले कि जितनी सांसें लिखी हैं, वही पर्याप्त हैं। उन्हें नामजप करने का संदेश दिया। कहा कि ये परमानंद का बाजार है, इसमें संतों के वचन जितने लूट सकते हो, लूट लो। कुंद्रा पोर्न फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा प्लेयर है। शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा की एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और प्रशंसक उमड़ पड़े। मंदिर परिसर में मौजूद लोगों में उत्साह का माहौल देखने को मिला। लोगों ने अभिनेत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया और तस्वीरें लेने के लिए होड़ मच गई।

श्रीराधा केलिकुंज में गुरुवार की सुबह साढ़े छह बजे सिनेतारिका शिल्पा शेट्टी एवं उद्योगपति राज कुंद्रा संत प्रेमानंद का आशीर्वाद लेने पहुंचे। संत प्रेमानंद ने कहा कि जीवन भी एक अभिनय है, कोई पति, कोई पत्नी, कोई माता या पिता का अभिनय कर रहा है। अभिनय करते हुए हमें जीवन व्यतीत करना है। लेकिन, जीवन किसके लिए व्यतीत करना है, ये सबसे बड़ा प्रश्न है। इसका समाधान चाहिए। हम धन कमाते हैं अपने भोग व सुविधा के लिए। सुविधा अपने जीवन के लिए तो सवाल यह है कि जीवन किसके लिए। जीवन अगर परमात्मा के लिए है, तो हमारा जीवन धन्य हो गया। अगर नहीं तो आपका न अभिनय , न धन और न शरीर रहेगा। एक समय वो आयेगा, जो हमारा नाम चिन्ह भी मिटा देगा। इसलिए हमें परमात्मा का चिंतन करना चाहिए। धीरे-धीरे काल के गर्त में सब चला जाता है। लेकिन, ये खुशी नहीं। असली खुशी भगवान का नाम संकीर्तन है। आप को भगवान ने वृंदावन भेजा है तो नामजप का नियम ले लो।

शिल्पा शेट्टी ने सवाल किया कि आप बताएं कि हमें क्या करना है, तो संत प्रेमानंद बोले एक काउंटर लें और उसमें दस हजार नाम 24 घंटे में जप लीजिए। फिर आप देखिए हर परिस्थति को मटियामेट करके परमानंद में निमग्न करने वाला प्रभु का नाम है। मेरी दोनों किडनी फेल हैं, हर कष्ट बाहर है। लेकिन, अंदर जो आनंद है, वह कहा नहीं जा सकता। मृत्यु का किंचित मात्र भय नहीं है। ये बाजार परमानंद का बाजार है, ये लूट लो और संतों के वचन मानकर चल लो तो मंगल हो जाएगा। नहीं तो भगवान का नाम, लीला सब अर्थ प्रधान हो गया है। अध्यात्म कभी बिकता नहीं। जो बिकता है वह अध्यात्म हो नहीं सकता। जो स्वयं परमात्मा में बिक गया, उसी का जगत में परिवर्तन होता है। दंपति ने सवाल किया अभी तो हम प्रसन्न हैं, आगे क्या होगा? अलग से क्या आनंद होता है़? संत प्रेमानंद बोले ये प्रसन्नता अस्थायी है, मृत्यु आने वाली है। यही अज्ञान की दशा है कि हम अगले कदम को नहीं सोचते। महाराजा नहुष अपने पुण्यबल से इंद्र की पदवी पा गए और इंद्र पदवी पर देवराज की पत्नी पर गलत दृष्टि से अजगर पदवी पर आ गए। आज हमें पीड़ा है तो चिकित्सा कर सकते हैं। लेकिन, कल जब कीड़े-मकोड़े, पशु पक्षी बनेंगे तो क्या होगा? शरीर परिवर्तनशील है। तो हमें पुण्य, तप, नामजप, तीर्थाटन करना चाहिए ताकि हमारा अपना अगला जन्म फिर मनुष्य का हो और देश और दुनिया की सेवा कर सकूं। कब मृत्यु आए पता नहीं। इसलिए हमेशा नामजप करें। अगर मान सको तो कोई नशा न करो।

राज कुंद्रा ने कहा मैं पिछले दो वर्ष से आपको इंस्टाग्राम पर फाॅलो कर रहा हूं। मैं जानता हूं कि आपकी किडनी फेल हैं, आज मैं अपनी एक किडनी आपके नाम करना चाहता हूं, तो संत प्रेमानंद ने इंकार करते हुए कहा कि आप स्वस्थ रहो। मैं भगवान की कृपा से स्वस्थ हूं। जब तक उनका बुलावा नहीं आएगा। तब तक मैं रहूंगा। आपका सद्भाव हमें स्वीकार है। आप नामजप करते रहो।

हिन्दुस्थान समाचार / महेश कुमार

   

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