हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान पर आयोजित हुआ एक दिवसीय व्याख्यान
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- Dec 01, 2025
भागलपुर, 1 दिसंबर (हि.स.)। सुन्दरवती महिला महाविद्यालय भागलपुर में राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में सोमवार को 'हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान' विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। भारतीय गाँधी अध्ययन परिषद के अध्यक्ष और उत्तकल विश्वविद्यालय ओड़िशा के बीजेबी गवर्नमेंट ऑटोनोमस कॉलेज के राजनीति विज्ञान के सेवानिवृत प्रोफेसर डॉ सुधीर चंद्र जेना ने बतौर मुख्य वक्ता व्याख्यान को सम्बोधित करते हुए कहा की भारत का संविधान जिस समय बना उसके अधिकांश सदस्य यानि लगभग 70% मेंबर्स कांग्रेस के ही थे। लिहाजा यह एक मूलतः एक कांग्रेसी दस्तावेज ही है।
भारतीय संविधान की वास्तविकता को उजागर करते हुए उन्होंने कहा की अपने देश के संविधान में भारतीयता की छाप कम दिखती है। बल्कि भारत का संविधान भारत शासन अधिनियम 1935, यूएसए का लिखित संविधान, यूके का अलिखित संविधान के अलावे ऑस्ट्रेलिया, आयरलैंड, जर्मनी, साऊथ अफ्रीका आदि देशों के संविधान का मिश्रित रूप है। भारत के संविधान का 75 साल पूरा होने के बाद भी इसमें जो समयानुसार परिवर्तन होना चाहिए था वह अब तक नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि गांधी जी ने नारायण अग्रवाल के माध्यम से जो संविधान बनाया था, उसकी संविधान निर्मात्री सभा ने अनदेखी की। यह संविधान भारतीय संविधान की जगह भारत का संविधान (कंस्टीटूशन ऑफ़ इंडिया) है। उस समय एक प्रभुत्वकारी ग्रुप ने भारत के नागरिकों पर संविधान को थोप दिया था। इसके पूर्व कार्यक्रम का उद्घाटन एसएम कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. निशा झा ने फीता काटकर किया। प्रधानाचार्य ने कहा की इस तरह के बौद्धिक आयोजनों से शिक्षकों के साथ-साथ छात्राओं के उच्च शैक्षणिक उन्नयन में लाभ मिलता है।
उन्होंने राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम की सराहना करते हुए भारतीय संविधान के महत्व को रेखांकित किया। राजनीति विज्ञान विभाग की विभागध्यक्ष डॉ अनुराधा प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत अंग वस्त्र और मोमेंटो से किया। मौके पर उन्होंने स्वागत भाषण भी दिया,जबकि कार्यक्रम का संचालन और संयोजन आयोजन सचिव और राजनीति विज्ञान विभाग के सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर और टीएमबीयू के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर ने की।
डॉ दिनकर ने कहा की भारत का संविधान हमारा अभिमान है। यह हमारे देश का एक जीवंत और लिखित दस्तावेज है। भारत का संविधान मूलतः समानता, स्वतंत्रता, बंधुता और न्याय पर आधारित है। विषय प्रवेश इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ हिमांशु शेखर ने कराया। धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभाग की सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुनीता सिन्हा ने की। कार्यक्रम में यूजी एवं पीजी की करीब डेढ़ सौ से अधिक छात्राओं ने भाग लिया।
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हिन्दुस्थान समाचार / बिजय शंकर



