वाराणसी : काशी तमिल सांझा संस्कृति की प्रगाढ़ता के लिए उतारी मां गंगा की आरती

—गंगा आरती कर अभिभूत हुए तमिल मेहमान, दक्षिण भारतीय आस्थावानों ने केदारघाट पर स्वच्छता में बंटाया हाथ

वाराणसी, 1 दिसंबर (हि.स.)। तमिलनाडु और काशी के बीच प्राचीन सांस्कृतिक और सभ्यतागत संबंधों के उत्सव - काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण के उपलक्ष्य में सोमवार को केदार घाट पर तमिल मेहमानों ने नमामि गंगे के स्वयंसेवकों के साथ मां गंगा की आरती उतारी। भारत की सुख-समृद्धि के लिए मां गंगा से आशीर्वाद भी मांगा। साथ ही काशी तमिल सांझा संस्कृति की प्रगाढ़ता के लिए मां गंगा का पूजन किया। इस दौरान केदार घाट पर आए तमिल मेहमानों ने मां गंगा की स्वच्छता में भी हाथ बंटाया।

काशी तमिल संगम 4.0 के विषय चलो तमिल सीखें - करपोम तमिल के तहत केदार घाट पर उपस्थित श्रद्धालुओं को तमिल भाषा के शब्दों से परिचित कराकर गंगा के तट पर सुखद अनुभूति को महसूस कराया। और आरोग्य भारत की कामना से द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं गंगाष्टकम का सामूहिक पाठ के बाद राष्ट्रध्वज हाथों में लेकर सभी ने गंगा स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। नमामि गंगे काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला ने बताया कि काशी और तमिलनाडु दोनों शिवमय हैं। काशी से तमिलनाडु तक, विश्वेश्वर और रामेश्वर की कृपा-दृष्टि समान रूप से है। सर्वत्र राम हैं, सर्वत्र महादेव हैं। काशी और तमिलनाडु की सांस्कृतिक विरासत साझी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अतुलनीय प्रयास से तमिल संगमम भाषा भेद मिटाने की ऊर्जा दे रहा है। उन्होंने बताया कि चौथे संस्करण के दौरान देश को संदेश दिया जाएगा कि सभी भारतीय भाषाएं हमारी भाषाएं हैं और एक भारतीय भाषा परिवार का हिस्सा हैं ।

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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

   

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